कलेक्टर के निर्देशों को दरकिनार कर नोडल अधिकारी और शाखा प्रबंधक कर रहे धान मंडी में काला खेल? क्या है पूरा मामला….

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Ignoring the instructions of the collector, the nodal officer and branch manager are playing black game in the paddy market? What is the whole matter….

रायपुर – छत्तीसगढ़ के नवगठित जिला सक्ती के अधिकांश मंडियों में धान खरीदी में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है जिसे लेकर नया जिला पूरे प्रदेश में लगातार सुर्खियों में है।

धान खरीदी समाप्त होते ही अधिकारी खरीदे गए धान की सत्यता और जीरो शार्ट करने की जुगत में लग गए है। लेकिन कुछ मंडियों में लाखों का धान कम होना भी पाया गया जिसे अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान सही भी पाया है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस पूरे मामले को दबाने में लगे हुए है।

भ्रष्टाचार करने वाले खरीदी प्रभारी और ऑपरेटर सहित समिति को अधिकारियों द्वारा बचाने का काम किया रहा है जिसे लेकर चर्चा भी हो रही है की आखिर ये ये रिश्ता क्या कहलाता है।

सूत्रों की माने तो इस कारनामे के पीछे नोडल अधिकारी अश्वनी पाण्डेय और शाखा प्रबंधक का नाम सामने आ रहा है जिसके द्वारा इस तरह के खेल खेलने वाले खरीदी केंद्र के प्रभारियों को बचाया जा रहा है। इसके अलावा एक मंडी में खाद्य अधिकारी मनोज त्रिपाठी का भी नाम सामने आया है जिनकी उपस्थिति और भौतिक जांच में लगभग 500 क्विंटल धान कम पाया गया था लेकिन उसे 2 दिन की मोहलत देकर कमी को पूरा करने का अवसर दे दिया।

सूत्र यह भी बताता है कि इन अधिकारियों द्वारा जानबूझकर कलेक्टर को इस मामले से अनभिज्ञ रखा गया है। ऐसा इसलिए कहना सही होगा क्योंकि खरीदी होने के पूर्व ही कलेक्टर ने सभी खरीदी केंद्र प्रभारियों और जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों को किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं करने की हिदायत दी थी और मामला सामने आने पर कड़ी कार्रवाई भी करने की बात कही थी। लेकिन अभी तक किसी भी मामले में कलेक्टर ने अभी तरह की कार्यवाई सामने नहीं आया है।

धान खरीदी केंद्र से भ्रष्टाचार का इतना बड़ा मामला सामने आने बाद भी जिम्मेदार अधिकारी अपने किस अधिकार और शासन के किन नियमों का हवाला देते हुए का प्रभारियों को कमी को दूर करने मोहलत दी गई यह भी अपने आप में बड़ा सवाल है, जिसका जांच होना चाहिए।

*अश्वनी पाण्डेय के कार्यकाल की जांच में होने सकता है बड़ा खुलासा..*

आपको बता दें अश्वनी पाण्डेय लगातार जांजगीर चांपा जिले के नोडल अधिकारी के पद पर पदस्थ है जो नवगठित सक्ती जिले का भी प्रभार देख रहे हैं। पिछले वर्ष इनके कार्यकाल में जमकर भ्रष्टाचार हुआ था लेकिन उन मामलों में भी अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति गैर जिम्मेदार दिखे? यही कारण है कि इस बार भी खरीदी प्रभारियों के हौसले बुलंद है जिसके कारण इस तरह के मामले की पुनरावृति हो रही है। अगर नोडल अधिकारी अश्वनी पाण्डेय के कार्यकाल की पूरी जांच होती है तो सच्चाई खुद ब खुद सामने आ जाएगी।

यही नहीं जिम्मेदार अधिकारी धान की अफरा तफरी को रोकने के बजाय शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का भी काम कर रहे है जिसकी शिकायत केंद्र और राज्य शासन से भी होने वाली है। अब देखना होगा कि इस मामले में सक्ती कलेक्टर क्या कार्रवाई करती है और जांच की आंच में कौन कौन प्रभावित होता है।

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