Getting your Trinity Audio player ready...
|
बिलासपुर। बिलासपुर रेलवे स्टेशन में ओएचई तार की चपेट में आकर ठेका श्रमिक की मौत के मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए ठेकेदार को मृतक के परिजन को 5 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। इसके लिए कोर्ट ने 6 हफ्ते की मोहलत दी है।
रेलवे प्रशासन ने कोर्ट को बताया कि मृतक के परिवार को 16 लाख 40 हजार रुपये का मुआवजा पहले ही दिया जा चुका है। रेल अफसरों के जवाब के बाद हाईकोर्ट की बेंच ने जनहित याचिका को निराकृत कर दिया।
हालांकि मृतक प्रताप बर्मन के परिजन अब भी एक करोड़ रुपये मुआवजा, पत्नी को सरकारी नौकरी और बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाने की मांग पर अड़े हुए हैं। DRM ऑफिस के बाहर बीते 6 दिनों से धरना जारी है। परिजन ने मृतक का शव पिछले 4 दिनों से मॉर्च्यूरी में रखा हुआ है, जिससे स्थिति गंभीर बनी हुई है।
हादसे की पृष्ठभूमि
23 अगस्त को रेलवे कोचिंग डिपो में वंदे भारत ट्रेन के एक्स्ट्रा कोच के एसी की मरम्मत के दौरान पामगढ़ (जांजगीर-चांपा) निवासी ठेका श्रमिक प्रताप बर्मन ओएचई तार की चपेट में आ गया था। इलाज के लिए अपोलो अस्पताल में भर्ती किए जाने के बाद 28 अगस्त को उसकी मौत हो गई।
शुरुआत में रेलवे प्रशासन ने इलाज और मुआवजा देने से इनकार कर दिया था, लेकिन जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद शासन और रेल प्रशासन ने 21 लाख 50 हजार रुपये का मुआवजा प्रस्ताव रखा। परिजन ने इसे ठुकराते हुए हाईकोर्ट और शासन से न्याय की मांग की।