Monday, September 1, 2025

भारत पर सबसे भारी टैरिफ: ट्रंप ने भारत पर लगाया 50% का टैरिफ, रूस से तेल खरीद बनी वजह।

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दुनिया को अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति की याद दिलाई है। अपने दूसरे संभावित कार्यकाल के लिए, उन्होंने अपनी व्यापार नीति को केंद्र में रखा है, जो वैश्विक व्यापार परिदृश्य में एक बड़े बदलाव का संकेत है। इस नीति का मुख्य जोर व्यापार घाटे को कम करना और ‘मेक इन अमेरिका’ के तहत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है। ट्रंप की यह आक्रामक नीति न सिर्फ वैश्विक व्यापार को प्रभावित कर सकती है, बल्कि भारत, चीन, वियतनाम और अन्य एशियाई देशों के साथ अमेरिका के व्यापारिक संबंधों को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।

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ट्रंप की व्यापार नीति का केंद्र:

ट्रंप का मानना है कि अमेरिका कई देशों के साथ व्यापार में घाटे में चल रहा है, जिसका सीधा असर अमेरिकी नौकरियों और अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। इसी सोच के तहत, उन्होंने विभिन्न देशों पर भारी टैरिफ लगाए हैं। उनका मानना है कि इन टैरिफों से अमेरिकी कंपनियां देश में ही उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित होंगी और अमेरिकी श्रमिकों को रोजगार मिलेगा।

एशियाई देशों पर संभावित प्रभाव:

भारत, चीन, वियतनाम और अन्य एशियाई देश अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक भागीदार हैं। इन देशों से अमेरिका में बड़े पैमाने पर सामान निर्यात होता है। ट्रंप की व्यापार नीति के तहत, इन देशों से आयात होने वाले उत्पादों पर भारी टैरिफ लग सकता है।

  • चीन: चीन के साथ तो ट्रंप ने पहले ही व्यापार युद्ध छेड़ रखा था। दूसरे कार्यकाल में यह और भी उग्र हो सकता है। चीन के उत्पादों पर टैरिफ बढ़ने से उसकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
  • भारत: भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। ट्रंप की नीति के तहत, भारतीय उत्पादों, विशेषकर कपड़ा, चमड़े के सामान और अन्य विनिर्मित वस्तुओं पर टैरिफ लगाया जा सकता है। इससे भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हो सकता है।
  • वियतनाम और अन्य देश: वियतनाम जैसे देशों, जो तेजी से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन रहे हैं, पर भी ट्रंप की नीति का असर पड़ सकता है।

वैश्विक व्यापार पर असर:

ट्रंप की यह नीति सिर्फ अमेरिका और उसके व्यापारिक भागीदारों तक सीमित नहीं रहेगी। यह वैश्विक व्यापार नियमों को भी चुनौती दे सकती है। टैरिफ और प्रतिबंधों से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है, जिससे पूरी दुनिया में कीमतें बढ़ सकती हैं और आर्थिक विकास धीमा हो सकता है।

आगे की राह:

ट्रंप की व्यापार नीति ने भारत और अन्य एशियाई देशों को एक चुनौती दी है। इन देशों को अपनी व्यापार नीतियों की समीक्षा करनी होगी और अमेरिका के साथ संभावित टकराव से बचने के लिए वैकल्पिक रणनीतियों पर विचार करना होगा। उन्हें अपने घरेलू बाजारों को मजबूत करने, अन्य व्यापारिक भागीदारों की तलाश करने और अपनी निर्यात टोकरी में विविधता लाने पर ध्यान देना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत और एशियाई देश ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का सामना करने के लिए एकजुट होते हैं या फिर अकेले ही इस चुनौती का सामना करते हैं।

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