Monday, September 1, 2025

छत्तीसगढ़ में बढ़ते अपराध के बीच सरकार की जवाबदेही और समाज का भविष्य

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✍🏼 मनोज शर्मा

धमतरी में हुए तिहरे हत्याकांड ने छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक ,राजनैतिक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को गहरे आत्ममंथन के लिए मजबूर कर दिया है। यह घटना केवल एक अपराध की कहानी नहीं, बल्कि उस गहरी बीमारी का लक्षण है जो नशे की गिरफ्त में हमारे समाज की नींव को खोखला कर रही है। नशे की लत ने युवाओं को इस कदर जकड़ लिया है कि उनकी आँखों में न तो कानून का भय बचा है, न ही मानवता की चेतना। धमतरी के इस हत्याकांड में शामिल युवकों के चेहरों पर दिखने वाली बेफिक्री और बर्बरता इस बात का सबूत है कि नशा इंसान को कितना अमानवीय बना सकता है। यह एक चेतावनी है कि अगर हम अब भी नहीं जागे, तो समाज का भविष्य और भी अंधकारमय हो सकता है।

0 व्यवस्था में ढिलाई एवं प्रभावी नियंत्रण का अभाव है बड़ा कारण

छत्तीसगढ़ में नशे से जुड़े अपराधों की बढ़ती घटनाएँ और युवाओं की दुस्साहसिक प्रवृत्ति चिंता का विषय है। धमतरी के तीहरे हत्याकांड जैसे मामले यह दर्शाते हैं कि अपराधी न केवल बेखौफ हो रहे हैं, बल्कि कानून-व्यवस्था के प्रति उनकी नजर में कोई भय नहीं बचा है। यह स्थिति तब बनती है जब व्यवस्था में ढिलाई और नशे के अवैध कारोबार पर प्रभावी नियंत्रण का अभाव होता है। सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
नशे के कारोबार को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई अक्सर सतही रहती है। अवैध शराब और ड्रग्स की बिक्री पर रोक के लिए ठोस नीतियों और सख्त निगरानी की जरूरत है। साथ ही, युवाओं को अपराध की राह से बचाने के लिए रोजगार सृजन, कौशल विकास और जागरूकता अभियानों पर जोर देना होगा। कानून का डर तभी प्रभावी होगा, जब न्याय प्रक्रिया तेज और निष्पक्ष हो। सरकार को चाहिए कि वह नशे के सौदागरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे, ताकि अपराधियों में यह संदेश जाए कि अपराध का कोई रास्ता नहीं बचेगा। इसके अलावा, सामुदायिक स्तर पर नशामुक्ति केंद्रों और परामर्श सेवाओं को बढ़ावा देना होगा, ताकि युवा नशे की गिरफ्त से बच सकें। यह समय केवल वादों का नहीं, बल्कि ठोस कदमों का है।

0 समझना होगा नशे के पीछे छिपे कारण और उसके निवारण को

नशे की बढ़ती समस्या के मूल में कई सामाजिक और आर्थिक कारण हैं। बेरोजगारी, शिक्षा का अभाव, सामाजिक दबाव, और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता युवाओं को इस दलदल में धकेल रही है। परिवारों में खुली बातचीत का अभाव और सामाजिक आयोजनों में शराब को स्वीकार्यता देना इस समस्या को और गंभीर बनाता है। शादियों, पार्टियों और यहाँ तक कि सार्वजनिक मेलों में शराब का खुलेआम परोसा जाना युवाओं को गलत संदेश देता है। यह दोहरा मापदंड समाज को और गहरे संकट में डाल रहा है। प्रश्न यह है कि आखिर हमारा समाज इस स्थिति तक कैसे पहुँचा? क्या यह केवल अपराधियों की गलती है, या इसके पीछे हमारी सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक व्यवस्थाओं की नाकामी भी है?

0 तय करें समाज और परिवार भी अपनी भूमिका

इस समस्या का समाधान केवल पुलिस और कानून के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। समाज और परिवार को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। माता-पिता को अपने बच्चों के व्यवहार पर नजर रखनी होगी, और पड़ोसियों को गलत राह पर जाते युवाओं को टोकने का साहस दिखाना होगा। चुप्पी इस समस्या को और बढ़ावा देगी। परिवारों को समय रहते नशे की लत को पहचानना होगा और उसे रोकने के लिए कदम उठाने होंगे। साथ ही, समाज को इस दोहरे रवैये को त्यागना होगा, जहाँ नशा एक ओर अपराध का
कारण माना जाता है, तो दूसरी ओर सामाजिक समारोहों में इसे स्टेटस का प्रतीक बनाया जाता है।

0 सरकार की जवाबदेही और व्यवस्था की ढिलाई

नशे से जुड़े अपराधों की बढ़ती घटनाएँ और युवाओं की दुस्साहसिक प्रवृत्ति व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करती हैं। धमतरी हत्याकांड जैसे मामले यह दर्शाते हैं कि अपराधी बेखौफ हो रहे हैं, क्योंकि कानून-व्यवस्था के प्रति उनका भय खत्म हो चुका है। सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठना लाजमी है। नशे के अवैध कारोबार पर प्रभावी नियंत्रण का अभाव और पुलिस की सतही कार्रवाई इस समस्या को और गहरा रही है। सरकार को नशे के सौदागरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी होगी, साथ ही तेज और निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित करनी होगी। इसके अलावा, बेरोजगारी और निराशा को कम करने के लिए रोजगार सृजन, कौशल विकास, और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान देना होगा।

0 एकजुटता और संकल्प से तय होगी आगे की राह

धमतरी की यह घटना हमें एक कड़वा सबक देती है। नशा केवल एक व्यक्तिगत कमजोरी नहीं, बल्कि सामाजिक पतन का कारण है। अगर हम चाहते हैं कि हमारा समाज अपनी संस्कृति, शांति और समृद्धि के लिए जाना जाए, तो नशे के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा। यह जिम्मेदारी न केवल सरकार की, बल्कि हर नागरिक की है। आइए, हम संकल्प लें कि अपने घर, मोहल्ले और शहर को नशामुक्त बनाएँगे। तभी हम उस छत्तीसगढ़, उस भारत का निर्माण कर पाएँगे, जो अपराध और नशे की छाया से मुक्त हो, और जहाँ हर युवा अपने सपनों को साकार करने की राह पर चल सके

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