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सक्ति ― कलेक्टर ने जनपद पंचायत सक्ति के सीईओ की जिम्मेदारी एक कनिष्ठ अधिकारी को दे दी है , इसे शासन के निर्देशों का खुला उल्लंघन कहा जा रहा है। जानकार बताते हैं कि शासन के अपने निर्देशों में साफ -साफ कहा है कि चाहे जैसी परिस्थिति हो जनपद पंचायत का प्रभार डीईओ संवर्ग के किसी अधिकारी को ही दिया जाना चाहिए। इस संबंध में उसने समय-समय पर निर्देश भी जारी किए हैं। ऐसे में किसी कनिष्ठ अधिकारी को प्रभारी सीईओ बनाये जाने पर कलेक्टर की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं , संभव है मामला ऊपर तक चला जाए ! अगर ऐसा हुआ तो कलेक्टर की परेशानी बढ़ सकती है। दरअसल जनपद पंचायत सकती के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का स्थानांतरण हो गया है उनकी जगह कलेक्टर ने एक कनिष्ठ अधिकारी सहायक विकास विस्तार अधिकारी को बैठा दिया है। प्रदेश के
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद जनपद पंचायत सक्ती में नियमों की खुली अवहेलना करते हुए सहायक विकास विस्तार अधिकारी निखिल कश्यप को प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) का कार्यभार सौंपा गया है। शासन द्वारा 30 जून 2023 को जारी आदेश में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी की अनुपस्थिति या अवकाश की अवधि में केवल विकास विस्तार अधिकारी (वीईओ) को ही “पदेन अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत” घोषित किया जाएगा और वही समस्त कार्यों का संचालन करेंगे।
शासन के निर्देश में सारी बातें स्पष्ट:–
शासन के आदेश में साफ कहा गया है कि किसी भी परिस्थिति में मुख्य कार्यपालन अधिकारी की अनुपस्थिति के दौरान विकास विस्तार अधिकारी के अतिरिक्त किसी अन्य अधिकारी या कर्मचारी को प्रभार नहीं सौंपा जाएगा। इसके बावजूद सक्ती जिले में कलेक्टर कार्यालय द्वारा जारी आदेश में अधीनस्थ अधिकारी सहायक विकास विस्तार अधिकारी निखिल कश्यप को यह जिम्मेदारी दी गई है।
सीईओ के स्थानांतरण से बनी स्थिति:–
जनपद पंचायत सक्ती की मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रीति पवार के स्थानांतरण के बाद यह स्थिति उत्पन्न हुई। जनपद पंचायत सक्ती में नियमित विकास विस्तार अधिकारी की पदस्थापना पहले से विद्यमान है, बावजूद इसके उनके स्थान पर अधीनस्थ कर्मचारी को प्रभारी बनाना नियमों के विपरीत कदम माना जा रहा है।
प्रशासनिक हलकों में चर्चा तेज:–
विभागीय सूत्रों के अनुसार, इस आदेश को लेकर प्रशासनिक गलियारों में चर्चा तेज है। अधिकारी वर्ग का मानना है कि यह निर्णय न केवल शासन के आदेशों की अवहेलना है बल्कि इससे प्रशासनिक व्यवस्था की पारदर्शिता पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है। कुछ अधिकारियों ने यह भी कहा कि इस तरह के निर्णय से निचले स्तर के कर्मचारियों में अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना कमजोर होती है।
संभावित विवाद की स्थिति:–
जानकारों का कहना है कि यदि शासन के आदेशों की अनदेखी इसी तरह होती रही तो आने वाले समय में यह मामला विवाद का रूप ले सकता है। क्योंकि शासन ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि “केवल विकास विस्तार अधिकारी ही सीईओ के अनुपस्थिति में जनपद पंचायत के सभी कार्यों का संपादन करेंगे।”
विभागीय कार्रवाई की संभावना:–
अब सभी की निगाहें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की ओर हैं कि वह सक्ती जिले में जारी इस आदेश पर क्या निर्णय लेता है। क्या इस नियम विरुद्ध आदेश को निरस्त कर विभागीय कार्रवाई की जाएगी, या फिर यह आदेश यथावत रहेगा — यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।

