1 जुलाई से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता हो जाएगी लागू ,महिलाओं के लिए बीएनएस में क्या-क्या नए नियम हैं?

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1 जुलाई से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता हो जाएगी लागू ,महिलाओं के लिए बीएनएस में क्या-क्या नए नियम हैं?

नई दिल्ली- आईपीसी में इसका प्रावधान है कि कौन सा कृत्य अपराध है और उसके लिए क्या सजा होगी? अब 1 जुलाई से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता लागू हो जाएगी। इसमें कई सारी नई धाराएं जोड़ी गई हैं और कई सजाओं को और सख्त बनाया गया है। आखिर महिलाओं के लिए बीएनएस में क्या-क्या नए नियम हैं? हम इस लेख में आपको बताएंगे।

दरअसल, देश में 10 दिन बाद एक जुलाई 2024 से तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू होने जा रहे हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के अनुसार बदलते वक्त के साथ सुधार होना चाहिए। लोगों को समय पर इंसाफ नहीं मिल रहा था। सिस्टम में समस्याएं थीं, इसलिए बदलाव किए जा रहे हैं।

आपको बता दें कि नए कानून लागू होने के बाद 1860 में बनी आईपीसी को भारतीय न्याय संहिता, उसके बाद 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट को भारतीय साक्ष्य संहिता और 1898 में बनी सीआरपीसी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के नाम से जाना जाएगा। इन तीनों के सिर्फ नाम ही नहीं बदलेंगे, बल्कि इनमें बहुत कुछ बदल जाएगा। कौन सा कृत्य अपराध है और उसके लिए क्या सजा होगी? ये आईपीसी से तय होता है लेकिन अब इसे भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा। आईपीसी में 511 धाराएं थीं अब भारतीय न्याय संहिता में 356 होंगी।

देश में तीन नए कानूनों के लागू होने के बाद काफी कुछ बदल जाएगा। भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं से जुड़े अपराधों में भी सख्त सजा का प्रावधान रखा गया है। आईपीसी में धारा 375 में रेप को परिभाषित किया गया है, जबकि 376 में इसके लिए सजा का प्रावधान है। अब भारतीय न्याय संहिता में धारा 63 में रेप की परिभाषा दी गई है और 64 से 70 में सजा का प्रावधान किया गया है।

बीएनएस में नाबालिगों से दुष्कर्म में सख्त सजा कर दी गई है। 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म का दोषी पाए जाने पर कम से कम 20 साल और अधिकतम आजीवन कारावास तक का प्रावधान किया गया है। आजीवन कारावास की सजा होने पर दोषी की सारी जिंदगी जेल में ही गुजरेगी।

बीएनएस की धारा 65 में ही प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म का दोषी पाया जाता है तो उसे 20 साल की जेल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। इसमें भी उम्रकैद की सजा तब तक रहेगी, जब तक दोषी जिंदा रहेगा। ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर मौत की सजा का प्रावधान भी है। इसके अलावा जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।

गैंगरेप के मामलों में सजा को और सख्त किया गया है। आईपीसी की धारा 376(D) में गैंगरेप के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। आईपीसी में गैंगरेप के मामलों में दोषी पाए जाने पर 20 साल से लेकर उम्रकैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है।

बीएनएस में भी गैंगरेप के मामले में यही सजा रखी गई है। हालांकि, बीएनएस की धारा 70(2) के तहत, नाबालिग के साथ गैंगरेप का दोषी पाए जाने पर कम से कम उम्रकैद की सजा तो होगी ही, साथ ही मौत की सजा भी हो सकती है। ऐसे मामलों में जुर्माने का भी प्रावधान है। जबकि, आईपीसी में 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ गैंगरेप का दोषी पाए जाने पर ही मौत की सजा का प्रावधान था।

भारतीय न्याय संहिता में एक नई धारा 69 जोड़ी गई है। इसमें शादी, रोजगार या प्रमोशन का झूठा वादा कर महिला के साथ यौन संबंध बनाता है तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा। इसमें पहचान छिपाकर शादी करने पर भी 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

दहेज हत्या को लेकर भी सजा में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आईपीसी में धारा 304(B) और बीएनएस में धारा 80 में दहेज हत्या की परिभाषा और उसकी सजा का प्रावधान है। अगर शादी के सात साल के भीतर किसी महिला की जलने, चोट लगने या संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो जाती है और पता चलता है कि मौत से पहले पति या उसके रिश्तेदारों ने महिला को प्रताड़ित किया था तो इसे दहेज हत्या माना जाता है। दहेज हत्या में दोषी पाए जाने पर कम से कम 7 साल की सजा का प्रावधान है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।

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