Famous Behmai murder case: Verdict taken after 43 years, one person sentenced to life imprisonment
कानपुर। Famous Behmai murder case : बहुचर्चित बेहमई हत्याकांड में अदालत ने 43 साल बाद महज एक दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। एक अन्य को बरी कर दिया। इन्साफ की इस रफ्तार के दौरान दस्यु फूलन देवी समेत 15 आरोपियों में से 13 की मौत हो चुकी है। इस नृशंस मामले में फूलन देवी गिरोह के डकैतों ने कतार में खड़ा कर उच्च जाति के बीस ग्रामीणों की हत्या की थी।
एंटी डकैती कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अमित मालवीय ने बुधवार को दोषी श्यामबाबू को उम्रकैद की सजा सुनाई। उस पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। एक अन्य आरोपी विश्वनाथ को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। फैसले के दिन ही ठीक 43 साल पहले 14 फरवरी, 1981 को दस्यु फूलन ने सिकंदरा के बेहमई गांव में बीस लोगों को मौत के घाट उतारा था। छह ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हुए थे। बेहमई के राजाराम ने केस दर्ज कराया था। बचाव पक्ष के वकील गिरीशनारायण दुबे के अनुसार, 24 नवंबर, 1982 तक 15 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई और आरोपपत्र दाखिल किए गए थे। कुछ आरोपी मध्यप्रदेश की जेल में बंद होने से मुकदमे में हाजिर नहीं हुए। इससे लंबे समय तक आरोप तय नहीं हो सके थे। इस दौरान कुछ आरोपियों की मौत हो गई, कुछ जमानत मिलने पर फरार हो गए थे।
■ वर्ष 2007 में आरोपी रामसिंह, रतीराम, भीखा व बाबूराम के खिलाफ पहली बार आरोप तय हुए थे।
■ 2012 में आरोपी पोसा, विश्वनाथ व श्यामबाबू के अलावा रामसिंह और भीखा पर दोबारा आरोप तय हुए थे। कोर्ट में हाजिर हो रहे सिर्फ पांच आरोपियों पर सुनवाई आगे बढ़ी।
■ 24 सितंबर, 2012 को वादी राजाराम की पहली बार कोर्ट में गवाही हुई। अभियोजन ने 2015 तक 15 गवाह पेश किए, पर कानूनी दांवपेच में उलझने से निर्णय में नौ साल लग गए। इस दौरान 13 आरोपियों की मौत हो गई।