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गोरखपुर (उत्तर प्रदेश): गोरखपुर के सहजनवा क्षेत्र में शुक्रवार की सुबह बिजली विभाग की कथित लापरवाही से एक बड़ा हादसा हो गया। लटकते और ढीले तार की चपेट में आने से चाचा और भतीजे की दर्दनाक मौत हो गई। मृतकों के परिजनों और गुस्साए ग्रामीणों ने शवों को सड़क पर रखकर सहजनवा-घघसरा मार्ग जाम कर दिया और विद्युत विभाग के अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई और मुआवजे की मांग की।
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घटना का विवरण
डुमरी निवास गांव (तिवरान) में हुई यह दुखद घटना बिजली विभाग की घोर लापरवाही की ओर इशारा करती है।
- तार ढीला होने की समस्या: मृतक चंद्रेश ने अपने घर के लिए वैध बिजली कनेक्शन लिया था। हालांकि, किसी विवाद के चलते गाँव के ही एक व्यक्ति ने उसका केबल पोल से हटा दिया था। बार-बार शिकायत के बावजूद बिजली विभाग ने कनेक्शन बहाल नहीं किया।
- खुद तार कसने गए: चंद्रेश ने हार मानकर लगभग 400 मीटर दूर ट्रांसफार्मर से बाँस और लोहे के पोल के सहारे केबल खींचकर बिजली चलाई। शुक्रवार की सुबह यही तार ढीला होकर पोखरे के पास झूलने लगा।
- हादसा: मछली पालने वाले एक व्यक्ति की सूचना पर, 32 वर्षीय चंद्रेश अपने चाचा 60 वर्षीय राम बेलास के साथ तार कसने पहुँचे। इसी दौरान लोहे का पोल छूते ही दोनों जबरदस्त करंट की चपेट में आ गए। उन्हें तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) ठर्रापार ले जाया गया, जहाँ उपचार के दौरान दोनों की मृत्यु हो गई।
आक्रोश और सड़क जाम
चाचा-भतीजे की मौत की खबर फैलते ही पूरे गांव में मातम छा गया और लोगों का गुस्सा विद्युत विभाग के खिलाफ फूट पड़ा।
- लापरवाही का आरोप: परिजनों और ग्रामीणों का कहना है कि यदि बिजली विभाग ने समय पर शिकायत पर ध्यान दिया होता और नियमानुसार कनेक्शन बहाल कर तार की मरम्मत की होती, तो यह जानलेवा हादसा नहीं होता।
- विरोध प्रदर्शन: आक्रोशित ग्रामीणों ने मृतकों के शवों को ठर्रापार के पास सड़क पर रखकर जाम लगा दिया। वे विद्युत विभाग के SDO (एसडीओ) और JE (जेई) को निलंबित करने और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिए जाने की मांग कर रहे थे।
- प्रशासनिक हस्तक्षेप: घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और उप जिलाधिकारी (SDM) सहजनवा केशरी नंदन तिवारी समेत कई अधिकारी मौके पर पहुँचे। उन्होंने आक्रोशित लोगों को शांत कराने का प्रयास किया और दोषियों पर जांच और कार्रवाई का आश्वासन दिया।
प्रशासन का आश्वासन: उप जिलाधिकारी ने परिजनों को समझाने के बाद आश्वासन दिया है कि मृतकों के परिवार से एक-एक व्यक्ति को सफाईकर्मी के संविदा पद पर नौकरी दी जाएगी और हर संभव आर्थिक मदद की जाएगी। इसके बाद शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। मृतक चंद्रेश के परिवार में उनकी पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं, जबकि राम बेलास की कोई संतान नहीं थी।