Tuesday, March 25, 2025

Char Dham Yatra 2025: इस दिन से शुरू हो रही है चार धाम यात्रा, जानें इसका महत्व

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कहा जाता है कि पुण्य फलों की प्राप्ति के लिए जीवन में एक बार चार धाम यात्रा जरूर करनी चाहिए। इस यात्रा में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के दर्शन किए जाते हैं। आज हम आपको उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का महत्व बताने जा रहे हैं।

कब से शुरू होगी यात्रा

चार धाम यात्रा का आरंभ 30 अप्रैल 2025 से होने जा रहा है। इस दिन पर भक्त गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के दर्शन कर सकेंगे। वहीं बद्रीनाथ के कपाट 04 मई 2025 को खुलेंगे। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की घोषणा महाशिवरात्रि के अवसर यानी 26 फरवरी 2025 को की जाएगी।

चार धाम यात्रा का महत्व

शास्त्रों में वर्णित है कि चारधाम यात्रा करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इसी के साथ व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति को दोबारा मृत्यु लोक में जन्म नहीं लेना पड़ता और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही यह यात्रा व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में भी मदद करती है।

यमुनोत्री

यमुनोत्री, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है, जो चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है। यमुना नदी भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक मानी गई है। वहीं यमुना को भगवान सूर्य की पुत्री और यम देव की बहन भी माना जाता है। इस पवित्र स्थल का मुख्य आकर्षण देवी यमुना को समर्पित मंदिर और जानकीचट्टी में पवित्र तापीय झरना है।

गंगोत्री

गंगोत्री, गंगा नदी का उद्गम स्थल है, जो उत्तराखंड के गढ़वाल में गंगोत्री हिमनद से निकलती है। गंगा को कलयुग का तीर्थ भी कहा जाता है। गंगोत्री चारधाम यात्रा का दूसरा पड़ाव है। माना जाता है कि यात्रा के दौरान गंगोत्री धाम का दर्शन करने से साधक के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यहां एक बहुत ही खूबसूरत गंगा मंदिर भी स्थापित है।

केदारनाथ

केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था। वहीं वर्तमान में हमें मंदिर का जो स्वरूप देखने को मिलता है, उसका निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा 8वीं-9वीं सदी में करवाया था।

इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां देवों के देव महादेव विश्राम करते हैं। वहीं शिवपुराण में वर्णन मिलता है कि इस स्थान पर विष्णु भगवान के अवतार नर-नारायण पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव का रोजाना पूजा किया करते थे, तब शिव जी ने उन्हें वरदान दिया था कि वह यहीं विराजमान होंगे।

बद्रीनाथ

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम मुख्य रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे बद्रीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान को लेकर मान्यता है कि भगवान विष्णु इस स्थान पर 6 महीने विश्राम करते हैं। इस मंदिर की स्थापना 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी।

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