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कोरबा, 01 दिसंबर 2025। कुसमुंडा क्षेत्र से प्रभावित भूविस्थापित महिलाओं का 22 वर्षों से जारी संघर्ष आज निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया। SECL प्रबंधन और जिला प्रशासन की कथित उदासीनता और संवेदनहीनता से नाराज़ महिलाओं ने सोमवार अलसुबह कुसमुंडा मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय के दोनों प्रवेश द्वारों पर ताला जड़ दिया। महिलाओं ने चेतावनी दी है कि आंदोलन के कारण उत्पन्न किसी भी अप्रिय स्थिति और कोयला उत्पादन में रुकावट के लिए पूरी जिम्मेदारी SECL और जिला प्रशासन की होगी।
22 वर्षों से जारी है न्याय की लड़ाई
कुसमुंडा परियोजना से विस्थापित महिलाएं रोजगार, बसाहट, पुनर्वास और लंबित समस्याओं के समाधान के लिए करीब दो दशक से अधिक समय से संघर्षरत हैं। आज के आंदोलन में गोमती, केवट, काजल, इन्द्रा, सरिता टिकैतराम बिंझवार, पूनम और मीना कंवर सहित कई महिलाएं शामिल रहीं।
महिलाओं ने साफ कहा कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया जाता, वे अनिश्चितकालीन धरने से नहीं हटेंगी और मुख्य गेट बंद ही रखेंगे।
वादाखिलाफी से बढ़ा आक्रोश
महिलाओं ने बताया कि बीते 17 नवंबर 2025 को भी उन्होंने कुसमुंडा कार्यालय में गेट जाम आंदोलन किया था। उस समय दर्री तहसीलदार ने लिखित में आश्वासन दिया था कि 21 नवंबर को बैठक कर समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
लेकिन बैठक आयोजित नहीं हुई और आश्वासन एक बार फिर झूठा साबित हुआ। इसी वादाखिलाफी ने महिलाओं के गुस्से को और भड़का दिया।
“अब समाधान के बिना गेट नहीं खुलेगा”
आंदोलनरत महिलाओं ने कहा—
“हम वर्षों से खदान बंद कर, गेट जाम कर, दफ्तरों के चक्कर लगाकर अपने हक़ के लिए लड़ रहे हैं। SECL और जिला प्रशासन बार-बार झूठे भरोसे देकर हमें छल रहा है। 21 नवंबर की बैठक का वादा भी पूरा नहीं किया गया। इसलिए अब निर्णायक लड़ाई शुरू हो चुकी है। जब तक समाधान नहीं, तब तक गेट नहीं खोला जाएगा।”

