रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित बालको वन भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश कर दी है। इस रिपोर्ट में बालको को 148 एकड़ वन भूमि पर बिना वैधानिक अनुमति के निर्माण और पेड़ कटाई का दोषी ठहराया गया है।
CEC की 127 पृष्ठीय रिपोर्ट में हुए बड़े खुलासे:
राजस्व वन भूमि का प्रबंधन वन संरक्षण अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप नहीं हो रहा।
2008 से 2013 के बीच सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के बावजूद बालको ने वन भूमि पर अवैध निर्माण और वृक्ष कटाई की।
रिपोर्ट में 5000 से अधिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए बालको के गैरकानूनी गतिविधियों पर सवाल उठाए गए।
समिति की सिफारिशें:
बालको को 148 एकड़ वन भूमि के लिए उचित वन अनुमति लेनी होगी।
अवैध पेड़ कटाई की भरपाई के लिए वैकल्पिक वृक्षारोपण मुआवजा जमा करना होगा।
बालको पर पहले भी लगते रहे हैं अवैध कब्जे के आरोप
बालको पर 2005 से ही वन भूमि पर अवैध कब्जे और अवैध निर्माण के आरोप लगते रहे हैं। 2008 में भूपेश बघेल और सार्थक संस्था की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बालको को पेड़ कटाई पर रोक लगाने का आदेश दिया था, लेकिन इसके बावजूद पावर प्लांट निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षों की कटाई की गई।
बालको की मनमानी पर उठी बड़ी कार्रवाई, 1804 एकड़ वन भूमि कब्जे पर सुप्रीम कोर्ट ने भेजे जांच अधिकारी