BALCO – बालको प्रबंधन के खिलाफ कलेक्टर से हुई शिकायत, वन विभाग और सीएसईबी से जुड़ा है मामला?

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बालको प्रबंधन के खिलाफ कलेक्टर से हुई शिकायत, वन विभाग और सीएसईबी से जुड़ा है मामला?

कोरबा – जिले में वेदांता कंपनी एवं बालकों की मनमानी चरम पर है। प्रशासनिक निर्देशों को दरकिनार कर कार्य कराना बालकों प्रबंधन की अब आदत सी बन गई है, जिसके कई उदाहरण भी देखने को मिल रहे हैं। लगातार शिकायत होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होना प्रशासनिक कार्रवाई पर भी सवाल खड़े होने लगा है।

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एक बार फिर कोरबा कलेक्टर से लिखित शिकायत करते हुए वेदांता कंपनी एवम् बालको के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है। मामला वन भूमि और सीएसईबी की अधिकृत भूमि पर चल रहे रेल लाईन निर्माण कार्य को लेकर है।

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छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना प्रदेश मंत्री दिलीप मिरी ने कोरबा कलेक्टर सौरभ कुमार से लिखित शिकायत करते हुए मांग किया है कि छत्तीसगढ़ राज्य के जिला कोरबा के वेदांता कंपनी एवम् बालको द्वारा लगातार पर्यावरण नियमों की खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। इस बार उक्त कंपनी द्वारा अपने निजी लाभ के लिए वन विभाग और सीएसईबी विभाग की जमीनों में पेड़ों की कटाई कर नई रेल लाइन बिछाई जा रही है।

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परंतु इस रेल लाइन के लिए जिला प्रशासन कोरबा द्वारा किसी प्रकार का कोई अधिसूचना जारी नहीं किया गया है और ना ही वन विभाग और सीएसईबी विभाग से किसी प्रकार की अनुमति / अनापत्ति ली गई है और ना हीं पर्यावरण विभाग द्वारा किसी प्रकार की जनसुनवाई हुई है।

वेदांता कंपनी एवम् बालको द्वारा एल्युमिनियम स्पेल्टर उत्पादन क्षमता को बढ़ाते हुए 10.85 एलटीपीए के विस्तार हेतु निजी लाभ के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। शिकायतकर्ता ने बालकों के इस कार्य को लेकर प्रशासनिक कार्रवाई पर भी सवाल खड़े करते हुए संरक्षण देने का गंभीर आरोप लगाया है।

शिकायतकर्ता ने लिखा है कि प्रशासनिक स्तर पर कड़ी से जांच कर कारवाई किया जाए तो बड़े स्कैम का भांडाफोड़ हो सकता है। शिकायतकर्ता ने यह भी उल्लेख किया है कि बालको कंपनी द्वारा आचार संहिता का फायदा उठाते हुए धड़ल्ले से कार्य को कर रही है जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है।

पूर्व में भी किया जा रहा था निर्माण…

जानकारी यह भी मिल रही है कि पूर्व में भी बालकों द्वारा इसी तरह सीएसईबी के जमीन पर रेल लाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा था। लेकिन मामला सुर्खियों में आने के बाद उक्त कार्य को बंद करना पड़ा। अब दोबारा बालकों द्वारा फिर से रेल लाईन बिछाने का कार्य किया जा रहा है, आखिरकार इसे क्या माना जाए? क्या बालको ने इस रेल लाइन को बनाने प्रशासनिक अनुमति प्राप्त की है या नहीं? यह जांच के विषय है|

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