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नई दिल्ली। अमेरिका के रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर कम्पैशनेट इकोनॉमिक्स (RICI) की नई स्टडी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। शोधकर्ता नाथन फ्रांज की टीम द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के ग्रामीण इलाकों में प्राइवेट अस्पतालों में जन्म लेने वाले नवजात बच्चों की मौत का खतरा सरकारी अस्पतालों की तुलना में 60% ज्यादा है।
77 हजार डिलीवरी केसों का विश्लेषण
स्टडी में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (NFHS-4) और नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के करीब 77 हजार डिलीवरी केसेस का विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक—
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प्राइवेट अस्पतालों में नवजात मृत्यु दर: 1000 जन्म पर 51 मौतें
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सरकारी अस्पतालों में नवजात मृत्यु दर: 1000 जन्म पर 32 मौतें
यह अंतर स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
अधिक शिक्षित और संपन्न माताएं भी नहीं सुरक्षित
स्टडी में यह भी सामने आया कि प्राइवेट अस्पतालों को चुनने वाली माताएं आमतौर पर—
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अधिक शिक्षित
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आर्थिक रूप से संपन्न
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बेहतर पोषण वाली
होती हैं। इसके बावजूद उनके बच्चों में मृत्यु का जोखिम ज्यादा पाया गया।
प्राइवेट अस्पतालों में गैर-जरूरी मेडिकल हस्तक्षेप बढ़ा जोखिम
RICI की स्टडी का मानना है कि प्राइवेट अस्पतालों में अधिक मुनाफा कमाने के लिए अनावश्यक मेडिकल इंटरवेंशन किए जाते हैं। इनमें शामिल हैं—
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जरूरत से ज्यादा दवाओं का उपयोग
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अनावश्यक सर्जिकल प्रक्रियाएं
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जल्दबाजी में किए जाने वाले ऑपरेशन
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अपर्याप्त नवजात आपात सुविधाएं
फ्रांज के अनुसार, “प्राइवेट अस्पतालों में मेडिकल प्रैक्टिस का प्रमुख उद्देश्य कभी-कभी स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता के बजाय आर्थिक लाभ हो जाता है।”
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जताई चिंता
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह रिपोर्ट ग्रामीण इलाकों में क्वालिटी हेल्थकेयर की कमी का बड़ा संकेत है। विशेषज्ञों ने सरकार से प्राइवेट अस्पतालों में—
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बेहतर निगरानी
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कठोर नियम
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स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल
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और नियमित ऑडिट
सुनिश्चित करने की मांग की है।

