Wednesday, May 21, 2025

AQI 500 पार 12 घंटे में ‘बहुत खराब’ से खतरनाक कैटेगिरी में पहुंचा

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दिल्ली में हर साल की तरह इस साल भी दिवाली के बाद प्रदूषण बढ़ने का सिलसिला जारी है। शनिवार रात 9 बजे दिल्ली का AQI का 327 दर्ज किया गया था, जो रविवार सुबह करीब 6 बजे 507 तक पहुंच गया। 9 घंटे में दिल्ली की हवा ‘बहुत खराब’ कैटेगिरी से ‘खतरनाक’ कैटेगरी में पहुंच गई।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में रविवार सुबह PM 2.5 का लेवल भी काफी बढ़ गया। यह वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के बताए मानक से 65 गुना ज्यादा रिकॉर्ड किया गया।

दिवाली के अगले दिन यानी 1 नवंबर को दिल्ली का औसत AQI 337 था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार सुबह दिल्ली में हवा चलने के कारण एअर क्वालिटी में सुधार देखा गया था, हालांकि शाम होते-होते हवा रुकने के कारण प्रदूषण बढ़ने लगा।

रविवार सुबह देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश के 4 और हरियाणा के 5 शहर शामिल हैं।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने 1 जनवरी 2025 तक पटाखों को बैन किया था। पटाखे बनाने, उन्हें स्टोर करने, बेचने और इस्तेमाल पर रोक है। इनकी ऑनलाइन डिलीवरी पर भी रोक लगाई गई थी, फिर भी आतिशबाजी हुई। पटाखे के कारण दिल्ली में AQI बढ़ा।

 दिल्ली का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 200 पार होने के बाद 14 अक्टूबर को दिल्ली NCR में ग्रैप-1 लागू कर दिया गया था। इसके तहत होटलों और रेस्तरां में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर बैन है। कमीशन ऑफ एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट ने एजेंसियों को पुराने पेट्रोल और डीजल गाड़ियों (बीएस -III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल) के संचालन पर सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं।

आयोग ने एजेंसियों से सड़क बनाने, रेनोवेशन प्रोजेक्ट और मेन्टेनेन्स एक्टिविटीज में एंटी-स्मॉग गन, पानी का छिड़काव और डस्ट रिपेलेंट तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने के लिए भी कहा है।

 NDTV के मुताबिक, प्राइवेट एजेंसी लोकल सर्कल के सर्वे में दावा किया गया कि दिल्ली-NCR में 69% परिवार प्रदूषण से प्रभावित हैं। शुक्रवार को जारी की गई इस सर्वे रिपोर्ट में 21 हजार लोगों के जवाब थे। इसमें सामने आया कि दिल्ली-NCR में 62% परिवारों में से कम से कम 1 सदस्य की आंखों में जलन है।

वहीं, 46% फैमिली में किसी न किसी मेंबर को जुकाम या सांस लेने में तकलीफ (नेजल कंजेशन) और 31% परिवार में एक सदस्य अस्थमा की परेशानी है।

AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है।

हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा। और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है।

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