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अमरावती: अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए नए और भारी टैरिफ (आयात शुल्क) से आंध्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा है। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया है कि इस टैरिफ के कारण राज्य को लगभग 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, और करीब 50 प्रतिशत निर्यात ऑर्डर रद्द हो गए हैं। नायडू ने इस संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने और राहत पैकेज देने की मांग की है।
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झींगा निर्यात पर सबसे अधिक असर
आंध्र प्रदेश भारत का सबसे बड़ा झींगा (Shrimp) उत्पादक और निर्यातक राज्य है। देश के कुल झींगा निर्यात में अकेले आंध्र प्रदेश की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत तक के टैरिफ ने इस क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है।
- लाखों परिवार प्रभावित: मुख्यमंत्री नायडू ने बताया कि इस उद्योग से सीधे तौर पर लगभग 2.5 लाख परिवार जुड़े हैं, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 30 लाख लोग इस पर निर्भर हैं। टैरिफ के कारण उनके रोजगार और आजीविका पर गंभीर संकट आ गया है।
- ऑर्डर रद्द: अमेरिकी बाजारों में भारतीय झींगा की लागत बढ़ने से वहां के खरीदारों ने अपने ऑर्डर रद्द कर दिए हैं, जिससे निर्यातकों को भारी नुकसान हो रहा है।
केंद्र से क्या मांग की गई है?
चंद्रबाबू नायडू ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और मत्स्य पालन मंत्री राजीव रंजन सिंह को पत्र लिखकर इस मामले में तुरंत कार्रवाई की अपील की है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार अपने स्तर पर किसानों को राहत देने के लिए कदम उठा रही है, जैसे कि झींगा चारे की कीमतों में कमी और सब्सिडी वाले ट्रांसफॉर्मर की आपूर्ति। हालांकि, यह समस्या इतनी बड़ी है कि इसके लिए केंद्र सरकार के बड़े पैमाने पर सहयोग की जरूरत है।
नायडू ने केंद्र से निम्नलिखित कदम उठाने का आग्रह किया है:
- राहत पैकेज: प्रभावित किसानों और निर्यातकों के लिए एक विशेष वित्तीय राहत पैकेज दिया जाए।
- वैकल्पिक बाजार: यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब और रूस जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) पर तेजी से काम किया जाए, ताकि निर्यात के लिए नए बाजार मिल सकें।
- घरेलू खपत को बढ़ावा: समुद्री खाद्य उत्पादों की घरेलू खपत को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी और अन्य वित्तीय नियमों में लचीलापन लाया जाए।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट केवल आंध्र प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के अन्य निर्यात-आधारित राज्यों को भी प्रभावित कर सकता है। अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार इस गंभीर आर्थिक चुनौती से निपटने के लिए क्या कदम उठाती है।