लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा मोड़ उस समय आया जब समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार देर रात घोषणा की कि उनकी पार्टी प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अकेले ही सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। यह निर्णय इंडिया गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े कर रहा है, खासकर तब जब कांग्रेस भी यूपी में बराबरी की हिस्सेदारी की उम्मीद कर रही थी।
प्रदेश में 13 नवंबर को 9 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीति गरमा चुकी है। इस उपचुनाव को 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी, जो लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान एक साथ ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत आई थीं, अब उपचुनाव में एक अलग राह अपनाती नजर आ रही हैं।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबी पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने घोषणा की कि उनकी पार्टी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। उन्होंने गठबंधन की एकता बनाए रखने की बात तो कही, लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया कि सभी उम्मीदवार सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। यह ऐलान इसलिए अहम है क्योंकि सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और सपा के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही थी।
क्यों लिया अखिलेश यादव ने ये बड़ा फैसला?
अखिलेश यादव का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस की हरियाणा विधानसभा चुनाव में खराब स्थिति सामने आई है। इस खराब प्रदर्शन ने यूपी में कांग्रेस की स्थिति को कमजोर किया, जिसका सीधा फायदा सपा ने उठाया। अब उपचुनाव में अखिलेश यादव अपनी पार्टी की स्थिति को और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस जहां गठबंधन में समान हिस्सेदारी की मांग कर रही थी, वहीं अखिलेश ने स्पष्ट रूप से दिखा दिया कि सपा यूपी की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाएगी। इस फैसले से यह भी जाहिर होता है कि सपा प्रमुख यूपी की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत रखने के लिए गठबंधन के भीतर अपनी स्थिति को सुदृढ़ कर रहे हैं।
‘इंडिया’ गठबंधन में बढ़ी खींचतान
यह उपचुनाव कांग्रेस और सपा के बीच मतभेदों को और बढ़ा सकता है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी दोनों दलों के बीच खींचतान चरम पर थी। लोकसभा चुनाव 2024 में भी सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच असहमति थी। सपा ने जहां 63 सीटों पर चुनाव लड़ा और 37 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं कांग्रेस केवल 17 सीटों पर चुनाव लड़ी और 6 सीटों पर ही जीत पाई।
क्या होगा उपचुनाव का परिणाम?
अब देखना यह होगा कि अखिलेश यादव का यह फैसला उपचुनाव में सपा के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है। वहीं, कांग्रेस के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है, खासकर तब जब वे यूपी में अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन का यह भविष्य भी इन उपचुनावों पर निर्भर कर सकता है, क्योंकि इससे यह तय होगा कि 2024 के आम चुनावों में दोनों दल एकजुट रहेंगे या नहीं।
उपचुनाव के नतीजे यह भी बताएंगे कि यूपी की राजनीति किस दिशा में जा रही है और अखिलेश यादव का यह बड़ा फैसला उनके लिए कितना लाभकारी साबित होता है।