हेरा फेरी के बाद फिर हेरा फेरी? सात दिन में हो गई पूरी सेटिंग? जांच में फसेंगा कौन?

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After manipulation, manipulation again? Complete setting done in seven days?

जांजगीर चांपा – कहावत है कि किसी एक गलती को छुपाने के लिए 100 गलतियां करनी पड़ती है। वैसा ही नजारा इन दिनों जांजगीर चांपा जिले में देखने को मिल रहा है। जांजगीर चांपा जिले के बलौदा ब्लॉक अंतर्गत धान खरीदी केंद्र खिसोरा में पिछले 7 दिनों पूर्व केंद्रीय गृह एवम् सहकारिता मंत्री अमित शाह के दौरे के दिन लगभग 2000 क्विंटल धान गायब होने की खबर सामने आई थी।

इस मामले का खुलासा करते हुए हमारे द्वारा प्रमुखता से समाचार का प्रकाशन भी किया गया था। लेकिन खेद करने वाली बात है की इस पूरे मामले को ही दबा दिया गया और फिल्मी स्टाइल में गायब हुए धान की पूर्ति भी कर दी गई। अब इस मामले की लिखित शिकायत कर कार्रवाई कराने की बात कही जा रही है।

पूरा मामला समर्थन मूल्य पर खरीदी किए गए धान का है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, शाखा बलौदा अंतर्गत धान खरीदी केंद्र खिसोरा में सात दिन पूर्व फड़ से लगभग 2000 क्विंटल गायब हो गया था। मामले में खरीदी प्रभारी विनोद आदिले द्वारा मीडिया को गोल मोल जवाब देते रहे फिर अधिकारियों के संरक्षण में चला गया।


इस पूरे मामले में मीडिया टीम द्वारा खरीदी केंद्र में जाकर मौके पर रखे धान का प्रमाणित फोटो और वीडियो बनाकर शाखा प्रबंधक बलौदा मुकेश पाण्डेय से बैंक में संपर्क कर कार्यवाई संबंधी जानकारी चाही गई जिस पर पूरे मामले की जांच कर कार्यवाई करने की बात कही गई।

मीडिया टीम द्वारा मौके पर पाए गए वास्तविक चीजों का उल्लेख करते हुए खरीदी केंद्र खिसोरा के खरीदी प्रभारी विनोद आदिले सहित अन्य सभी दोषियों पर कार्रवाई करने समाचार का प्रकाशन किया गया लेकिन समाचार प्रकाशन होने के बावजूद जिम्मेदार विभाग के अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय उसका बचाव करने में लग गया।

सोशल मीडिया में खबर वायरल होते ही पूरे जांजगीर चांपा जिले के सोसायटी प्रभारी/कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। यहां तक की मीडिया टीम को खबर यह भी मिली कि जांजगीर चांपा कलेक्टर द्वारा इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने कहा गया था। लेकिन सहकारिता विभाग के उप पंजीयक, सहायक पंजीयक, बलौदा शाखा प्रबंधक, डीएमओ और सुपरवाइजर मिलकर बचाव करने जुट गए। नतीजा आज सामने आ ही गया कि खिसोरा मंडी में गायब हुए धान की पूर्ति कर दी गई और शेष धान की मात्रा 2756 क्विंटल की जगह मात्र 458 क्विंटल बच गया।

29 तारीख की रिपोर्ट
22 तारीख की रिपोर्ट

अब इस मामले में दोषियों को बचाने जिस तरह से तरकीब अपनाई गई है वह किसी फिल्म से कम नजर नहीं रही है। लेकिन इस मामले को दबाने वाले अधिकारियों को यह बात समझ नहीं आई कि गड़बड़ियां कभी न कभी सामने उजागर हो ही जाती है। इस मामले में भी कुछ कड़ी ऐसे नजर आ रहे हैं जिसे देखने से ही मामले को सेटलमेंट करने जैसा नजर आ रहा है।

सबसे पहली बात तो यह है कि जिस तरह से खरीदी केंद्र प्रभारी विनोद आदिले द्वारा स्वयं धान नहीं होने की बात कहते हुए मदद की गुहार मीडिया कर्मी से लगा रहे थे उनका वीडियो खुफिया कैमरे में कैद हो चुका है जो कि सुरक्षित रूप से रखा हुआ है।

वही खरीदी केंद्र के चारों तरफ मीडिया कर्मी द्वारा प्रमाणित जीपीएस फोटो एवं वीडियो बनाया गया है जो कि अपने आप में प्रमाणित करता है कि वह वीडियो उक्त स्थल का है और समय तथा दिनांक भी अंकित है।

इसके अलावा महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जब खरीदी केंद्र में धान था ही नहीं तब इस बीच खरीदी केंद्र के नाम से किस मिलर को डीओ जारी किया गया और क्या मिलर के द्वारा खरीदी केंद्र खिसोरा में ही धान लोडिंग किया गया या फिर भरी हुई गाड़ी लाकर वापस मिल में खाली किया गया या फिर सिर्फ और सिर्फ कागजों में धान के आवागमन की पूर्ति कर दी गई?

दस्तावेज करेगा खुलासा, कौन होगा जिम्मेदार?

खरीदी केंद्र से धान के उठाव और गंतव्य स्थल तक परिवहन कर ले जाने के लिए शासन ने पूरी तरह से डिजिटल तकनीकी का पालन करने का निर्देश दिया है जिसमें धान उठाओ के लिए जारी डीओ के आधार पर मिलर द्वारा वाहन खरीदी केंद्र में भेजा जाएगा। इसके बाद खरीदी केंद्र में उपस्थित कर्मचारियों के द्वारा खाली गाड़ी का फोटो वीडियो लेकर लोडिंग की कार्यवाही को बढ़ाया जाएगा। फिर अंत में लोड गाड़ी का फोटो वीडियो जीपीएस करने के बाद ही गंतव्य स्थल को जाने के लिए दस्तावेज जारी किया जाएगा। क्या इस खरीदी केंद्र में धान उठाव के लिए इन नियमों का पालन किया गया है, यह भी जांच का विषय है जिसकी शिकायत कर जांच कराई जाएगी।

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