Thursday, September 4, 2025

सेवा से हटाए जाने के बाद डॉ प्रिंस जायसवाल ने खटखटाया उच्च न्यायालय का दरवाजा,अंतरिम राहत से अदालत ने किया इंकार

Must Read
Getting your Trinity Audio player ready...

सूरजपुर। सेवा से हटाए जाने के बाद यहां जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ प्रिंस जायसवाल उच्च न्यायालय में याचिका दायर किये थे जहाँ से भी उन्हें राहत नहीं मिल सकी है। दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। साथ ही राज्य सरकार सहित अन्य पक्षों को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। डॉ. प्रिंस जायसवाल की ओर से अधिवक्ता पवन श्रीवास्तव ने पक्ष रखते हुए बताया कि याचिकाकर्ता की सेवा समाप्ति छत्तीसगढ़ शासन की वर्ष 2018 की मानव संसाधन नीति के विरुद्ध की गई है, जो आज भी प्रभावशील है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को बिना अवसर दिए सेवा से हटाया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है। याचिका में यह उल्लेख किया गया है कि डॉ. जायसवाल को जिला आरएमएनसीएच ए सलाहकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के पद पर 29 मई 2015 को संविदा आधार पर नियुक्त किया गया था। उनके विरुद्ध यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने मास्टर ऑफ फिजिकल हेल्थ की डिग्री की फर्जी अंकसूची साबरमती यूनिवर्सिटी (पूर्व में कैलॉर्क्स टीचर्स यूनिवर्सिटी), अहमदाबाद से प्रस्तुत की है। हालांकि, अधिवक्ता ने न्यायालय को अवगत कराया कि कलेक्टर, सुरजपुर द्वारा की गई जांच में विश्वविद्यालय ने उक्त अंकसूची की प्रामाणिकता की पुष्टि की है, और प्रारंभ में जांच को बंद करने की अनुशंसा भी की गई थी। इसके बावजूद. एक निजी शिकायतकर्ता संजय कुमार जयसवाल की शिकायत के आधार पर दोबारा जांच प्रारंभ कर डॉ. जयसवाल को सेवा से हटा दिया गया।

0 राज्य पक्ष ने हटाने को बताया उचित

राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अधिवक्ता सुयशधर बडगैया उप महाधिवक्ता एवं उत्तरदाता क्रमांक 2 की ओर से अधिवक्ता सी.जे.के. राव ने आपत्ति जताते हुए कहा कि याचिकाकर्ता एक संविदा कर्मचारी थे और उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को पर्याप्त अवसर दिया गया था. लेकिन वे अपनी डिग्री की प्रामाणिकता साबित करने में असफल रहे। अतः सेवा से हटाया जाना नियमानुसार एवं न्यायोचित है।

0 अंतरिम राहत से अदालत ने
किया इंकार

न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलों एवं प्रस्तुत दस्तावेजों पर विचार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता संविदा पर नियुक्त थे और उन पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाने का गंभीर आरोप है। ऐसे में अदालत अंतरिम राहत प्रदान करने के पक्ष में नहीं है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय, जैसे “यूपी स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन बनाम बृजेश कुमार” और ‘फिरोज़ अहमद शेख बनाम यूनियन टेरिटरी ऑफ जम्मू-कश्मीर उनके पक्ष में सहायक नहीं हैं. क्योंकि इन मामलों की परिस्थितियाँ वर्तमान मामले से भिन्न हैं।

0 तीन सप्ताह बाद अगली सुनवाई

अदालत ने राज्य सरकार तथा अन्य पक्षों को निर्देशित किया है कि वे आगामी तीन सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करें। इसके उपरांत मामले की अगली सुनवाई की जाएगी।

0 सत्य की हमेसा जीत होती है संजय

माननीय हाई कोर्ट के फैसले को लेकर शिकायकर्ता संजय जायसवाल ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि न्यायालय ने जो आदेश दिया है उसका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूँ, बहुत बहुत आभारी हूँ। सत्य की हमेशा जीत हुई है ये सर्वविदित है

Latest News

11 से 18 सितंबर तक विभिन्न विकास खंडों में वरिष्ठजनों हेतु मूल्यांकन शिविर का होगा आयोजन

कोरबा 03 सितम्बर 2025/कलेक्टर श्री अजीत वसंत के मार्गदर्शन में जिले के 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठजनों...

More Articles Like This