मां बम्लेश्वरी को 450 ग्राम सोने से बनी मुकुट भेंट की गई,भक्तों के लिए बना आकर्षण का केंद्र

Must Read

मां बम्लेश्वरी को 450 ग्राम सोने से बनी मुकुट भेंट की गई,भक्तों के लिए बना आकर्षण का केंद्र

डोंगरगढ़- चैत्र नवरात्र के पांचवे दिन आज मां बम्लेश्वरी ट्रस्ट समिति एवं भक्तों के सहयोग से माता जी को लगभग 450 ग्राम सोने से बनी मुकुट भेंट की गई। इसकी लागत लगभग 35 लाख रुपए बताई जा रही है। यह मुकुट पूरे नवरात्र में भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। चैत्र नवरात्र के पांचवे दिन नव दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। इसी शुभ अवसर में यह भेंट माता को की गई है।

बता दें कि, माता के दरबार में लाखों की संख्या में देश विदेश से भक्त मां के दर्शन करने आते हैं। कुछ अपनी मनोकामना लेकर तो वहीं कुछ अपनी मनोकामना पूरी होने पर माता के दरबार में अपनी हाजरी लगाते हैं। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु ज्योति कलश की स्थापना करवाते हैं। वहीं कुछ भक्त पैदल चलकर या घुटनों के बल माता के दरबार पहुंचते हैं।

माता का दरबार प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। पहाड़ी पर विराजमान मां बम्लाई के दर्शन के लिए लगभग 1000 से ज्यादा सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है। बीच-बीच में श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था की गई है। इस बीच माता तक पहुंचने के रास्ते में ऊपर तक बाजार लगा हुआ है। वहीं ऊपर जाने के लिए रोप-वे की भी सुविधा मिलती है। सुरक्षा के मद्देनजर मंदिर परिसर में सुरक्षाबल भी तैनात रहते हैं। मंदिर समिति और पुलिस 24 घंटे सेवाएं देती हैं। जैसे-जैसे दर्शनार्थी ऊपर चढ़ते हैं मंदिर दिखाई देता है मन आनंदित हो जाता है। इतनी लंबी चढ़ाई के बाद भक्तजन माता की छवि देखकर धन्य महसूस करते हैं।

राजा कामसेन ने बनवाया भव्य मंदिर

मंदिर निर्माण की बात करें तो राजा कामसेन ने अपने तपोबल से मां बगलामुखी को प्रसन्न किया और उनसे विनती की कि, वे उनके राज्य की सबसे ऊंची पहाड़ी पर विराजमान हों और सबका कल्याण करें। लेकिन अत्यधिक जंगल और दुर्गम रास्ता होने के कारण भक्त माता का दर्शन नहीं कर पा रहे थे। तब राजा कामसेन ने माता बम्लेश्वरी से विनती की और कहा कि, पहाड़ी के नीचे विराजमान हों। माता ने राजा की विनती सुन कर छोटी मां बम्लेश्वरी और मंझली मां रणचंडी के रूप में विराजमान हुईं। वही दूसरी ओर कुछ इतिहासकारों का यह भी कहना है की मां बम्लेश्वरी का इतिहास उज्जैन से भी जुड़ा हुआ हैं । राजा विक्रमादित्य भी यहां पहले शासक रह चुके हैं राजा विक्रमादित्य भी मां बगलामुखी के बड़े उपासक रहे हैं।

मान्यता है कि, जो भक्त मां बम्लेश्वरी के दरबार पहुंचकर सच्चे मन से मन्नत मांगते हैं तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। जो ऊपर पहाड़ों पर नहीं पहुंच पाते वे छोटी मां बम्लेश्वरी और मां रणचंडी का दर्शन कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। जनश्रुति है कि, जिन दंपतियों को संतान सुख नहीं होता यदि वे सच्चे मन से माता रानी का दर्शन करते हैं तो मां उनकी मनोकामना पूर्ण करती है। जिन श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है वे मां को धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए अपने निवास स्थान से पैदल चलकर मां के दरबार पहुंचते हैं। कई लोग घुटनों के बल जाते हैं, तो कुछ जस गीत गाते हुए या मैय्या का जयकारा लगाते हुए जाते हैं।

Latest News

बांकीमोंगरा नगर पालिका के सेटअप और विकास कार्यों के लिए उपमुख्यमंत्री अरुण साव से मुलाकात

नवनिर्मित बांकीमोंगरा नगर पालिका के विकास कार्यों को लेकर कटघोरा विधायक प्रेमचंद पटेल के नेतृत्व में बांकीमोंगरा नगर पालिका...

More Articles Like This