अभावों में भी नहीं झुके सुदामा, अटूट भक्ति के कारण रीझे भगवान… कथाचार्य कृष्णा द्विवेदी

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कोरबा – द्वारिकाधीश कृष्ण के मित्र होते हुए भी सुदामा ने अपना दीनता का बोध किसी से नहीं किया। भगवान उनकी भक्ति में रीझ गए थे। इसलिए उन्होने उनसे चावल की पोटली जबर्दस्ती छीन ली। उसे खाकर कृष्ण ने अपने मित्र को तीनों लोकों का वैभव दे दिया। यह बात कथाचार्य कृष्णा द्विवेदी ने रेलवे स्टेशन बस्ती में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान व्यासमंच से सुदामा चरित व्याखान के दौरान कही।

उन्होने ने कहा कि सुदामा के मित्रता में प्रेम का भाव छिपा था। इस वजह से भगवान को भी उनके सामने झुकना पड़ा। बचपन के साथी सुदामा की प्रवृत्ति से भगवान भली भांति परिचित थी। भगवान अपनी कसौटी पर सभी को कसते है। सच्चा भक्त अपनी मार्ग से कभी विचलित नहीं होता।

कथाचार्य परीक्षित मोक्ष की कथा को भी विस्तार से कहा। ईश्वर की प्रेरणा श्रीमद्भागवत का प्राकट्य आम जनमानस के कल्याण से लिए होना था। परीक्षित के प्रति शुकदेव मुनि का व्याख्यान एक माध्यम है। संगीतमय भागवत कथा का श्रवण करने के लिए दूर दूर से लोग पहुंच रहे हैं।

कथा आयोजन को लेकर लोगों में उल्लास देखा जा रहा है। शनिवार को तुलसी वर्षा, हवन व पूर्णाहुति के साथ भागवत कथा संपन्न् होगा।

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