जिला सहकारी बैंक शाखा प्रबंधक रश्मि गुप्ता के ऊपर लगा एक और गंभीर आरोप…

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जिला सहकारी बैंक शाखा प्रबंधक रश्मि गुप्ता के ऊपर लगा एक और गंभीर आरोप…

रायपुर – फर्जी रूप से नियुक्ति को लेकर सुर्खियों में बने रश्मि गुप्ता के ऊपर एक और गंभीर आरोप लगा है। इस बार मामला फर्जी खाता खोलकर फर्जीवाड़ा करने का सामने आया है। शिकायतकर्ता ने इस मामले की जांच के लिए जिला सहकारी केंद्रीय मर्यादित बैंक के संयुक्त पंजीयक को पत्र लिखा है।

इसके पहले भी शाखा प्रबंधक रश्मि गुप्ता के खिलाफ नियुक्ति को लेकर शिकायत की गई है जिस पर जांच होना अभी बाकी है, वहीं एक और गंभीर आरोप उनके ऊपर लगा है। हालांकि इस मामले को लेकर अब तक जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

क्या है पूरा मामला…

जिला सहकारी केंद्रीय मर्यादित बैंक की शाखा चांपा में पदस्थ शाखा प्रबंधक रश्मि गुप्ता के द्वारा बैंक के एक और कर्मचारी लिपिक योगेश राठौर के साथ मिलकर तीन लोगों का फर्जी खाता खोला गया था जिसमें परसादी लाल पिता पटेल दास निवासी गंगाजल, जागेश्वर सिंह पिता की खीखनदास निवासी गंगाजल और शंखनाद पिता बदरा लाल निवासी गंगाजल तहसील नवागढ़ के नाम पर खाता खोला गया था।

इस खाते को खुलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अधिवक्ता तुलसीराम धृतलहरे ने निभाई थी। इस षड्यंत्र के पीछे शासन द्वारा आपदा मृत्यु 6 – 4 प्रकरण होने पर दिए जाने वाले मुआवजे की राशि हड़पने की साजिश रची गई थी। अधिवक्ता तुलसीराम द्वारा फर्जी प्रकरण बनाकर फर्जी आदेश के साथ-साथ संयुक्त कलेक्टर का फर्जी हस्ताक्षर कर उज्जवल तिवारी नाजिर जांजगीर के समक्ष प्रस्तुत किया था।

तुलसीराम इस मामले में तीनों लोगों के नाम से 4 – 4 लाख का चेक भुगतान कराने में सफल भी हो गया था। लेकिन जांजगीर नायब नजीर की सक्रियता ने उसके इस साजिश को पूरा होने से पहले ही पकड़ लिया।

शिकायतकर्ता ने इस पूरे षड्यंत्र के पीछे चांपा शाखा प्रबंधक के ऊपर गंभीर आरोप लगाया है क्योंकि जिन तीन लोगों के नाम से खाता खोला गया है वे तीनों चांपा क्षेत्र के स्थानीय निवासी नहीं है, बल्कि लगभग 25 किलोमीटर दूर ग्राम नवागढ़ के आसपास के निवासी बताए जा रहे हैं जिनकी स्थानीय रूप से जांच भी की गई लेकिन तीनों का कोई पता भी नहीं चल सका। ऐसे में इस तरह के गुमनाम लोगों पर के नाम से आखिरकार खाता कैसे खोला गया यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

जानकारी अनुसार किसी भी हितग्राही का नया खाता खोलने के पूर्व आवेदन पत्र के साथ साथ आवश्यक दस्तावेजों की छाया प्रति भी मांगी जाती है जिसकी अंतिम पुष्टि शाखा प्रबंधक के द्वारा की जाती है और दस्तावेज की सत्यता स्पष्ट होने के बाद ही किसी भी हितग्राही का नया खाता खोला जाता है।

लेकिन यह तीनों व्यक्ति जिनके नाम से खाता खोला गया था, ना तो ये स्थानीय निवासी थे और ना ही इनके दस्तावेज सही है। बावजूद शाखा प्रबंधक के द्वारा इन तीनों लोगों के नाम से नया खाता खोलने मंजूरी दे दी गई।

इस मामले की शिकायत नाजिर द्वारा जांजगीर थाने में की गई थी जिसके बाद जांजगीर पुलिस ने इस षड्यंत्र में शामिल मुख्य आरोपी तुलसी राम धृतलहरे के खिलाफ मामला पंजीबद्ध करते हुए आईपीसी की धारा 420, 467 और 468 के तहत अपराध दर्ज करते हुए गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया, लेकिन इस मामले से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।

शिकायतकर्ता का कहना है कि जिस तरह से शाखा प्रबंधक के द्वारा अपने ब्रांच में 3 लोगों का खाता खोला गया है, यह अपने आप में एक षड्यंत्र को स्पष्ट करता है साथ ही शाखा प्रबंधक की संलिप्तता को भी दर्शाता है। इस पूरे मामले की सूक्ष्मता से जांच करने पर इस मामले से जुड़े कई आरोपियों के नाम उजागर हो सकते हैं। इसके अलावा शाखा प्रबंधक अपनी जिम्मेदारी एवं कर्तव्यों के प्रति कितने जवाबदेही हैं यह भी इस कृत्य से स्पष्ट होता है।

हालांकि इस मामले की शिकायत संयुक्त पंजीयक जिला सहकारी मर्यादित बैंक बिलासपुर से एक माह पूर्व की गई है, लेकिन अब तक इसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब देखना होगा कि इस मामले पर जिम्मेदार अधिकारी क्या कार्यवाई करते हैं।

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