भ्रष्टचार की भेंट चढ़ रहा करोड़ों का नहर, ठेकेदार और अधिकारी हो रहे मालामाल…

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Crores of canal falling prey to corruption, contractors and officers getting rich…

रायपुर। नवीन जिला सक्ती अंतर्गत चल रहे अधिकांश निर्माण कार्य में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। भ्रष्टाचार को अंजाम देने में विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी ठेकेदार को खुलेआम संरक्षण देते नजर आ रहे हैं। ताजा मामला देवरी नाला नहर लाइनिंग का है। इस कार्य के लिए जल संसाधन विभाग ने 1,40,00000 रुपए का ठेका अकलतरा निवासी ठेकेदार पूरन चंद अग्रवाल को दिया है।

ठेकेदार पूरन चंद अग्रवाल अपने सहयोगी बिलासपुर निवासी संजय अग्रवाल के साथ मिलकर करोड़ो के काम में जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। कार्य संबंधी विभाग द्वारा तय की गई रॉ मटेरियल अनुपात और उसकी मानकता को दरकिनार कर घटिया निर्माण कराया जा रहा है जिसके कारण नहर बनने से पहले ही धराशाई होने लगा है। स्थानीय ग्रामीणों ने भी निर्माण को लेकर घटिया और स्तरहीन कार्य होने की बात कही है और अब तक हो चुके निर्माण की गुणवत्ता की जांच की मांग भी कर रहे हैं।

एक तरफ जहां जिम्मेदार अफसर निर्माणाधीन नहर कार्य को लेकर लगातार निरीक्षण की बात कह रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इस तरह चल रहे घटिया निर्माण ने अधिकारी द्वारा किए जा रहे निरीक्षण के सारे दावो की पोल खोल दिया है। ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारी कार्य की शुरुवात से ही अपनी मनमानी करते आ रहे है। यही कारण है कि कार्य शुरू होने के 2 माह बीत जाने के बाद भी आज तक कार्य संबंधी सूचना बोर्ड नहीं लगाया गया।

इस संबंध में कार्य संबंधी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जल संसाधन विभाग एसडीओ बी एल कश्यप ने बताया कि 1 करोड़ 40 लाख रुपए में नहर लाइनिंग का कार्य देवरी में चल रहा है, ठेकेदार को कार्य संबंधी बोर्ड लगाने कार्य शुरू करने के पहले ही बोला गया गया था। लेकिन आज तक बोर्ड नहीं लगा है, कार्य को पूरी गुणवत्ता के साथ कराया जा रहा है बीच-बीच में मेरे द्वारा निरीक्षण भी किया जाता है।

अब सवाल यह है कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जिनकी देखरेख में कार्य कराने का जिम्मा सौंपा गया है के कहने के बावजूद कार्य के 2 माह बीत जाने के बाद भी ठेकेदार द्वारा आखिरकार बोर्ड क्यों नहीं लगाया गया? क्या इसके पीछे लोगों को गुमराह कर ठेकेदार द्वारा घटिया निर्माण करने की मंशा थी? यदि जिम्मेदार अधिकारी लगातार कार्य का निरीक्षण कर रहे हैं तो फिर ठेकेदार की मनमानी आखिरकार क्यों सामने आ रही है?

क्या इस कार्य के पीछे अधिकारी और ठेकेदार आपसी सांठगांठ कर मोटी कमाई करने में लगे हुए है जिसका हिस्सा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के टेबल तक पहुंचाया जा रहा है? यह सभी जांच के पहलू है, इन सभी बिंदुओं पर जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।

जल संसाधन विभाग सक्ती में यह पहला मामला नहीं है जहां इस तरह के घटिया निर्माण होने की बात सामने आ रही है। एसडीओ बी एल कश्यप की देखरेख में हो रहे सभी कार्यों में इसी तरह के भ्रष्टाचार चल रहे हैं जिसकी परत दर परत पोल खोली जायेंगी।

हालांकि मौके पर चल रहे निर्माण कार्य को देखकर यह तो स्पष्ट हो गया है कि निर्माण कार्य में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। अब सवाल यह है कि इस तरह के घटिया निर्माण को लेकर जिम्मेदार अफसर समाचार प्रकाशन के बाद अंधेरे से उजाले की ओर जायेंगे या फिर इसी तरह कागजों में गुणवत्ता को पूर्ण करते हुए घटिया निर्माण कर लाखों रुपए का आपस में बंदरबाट कर लिया जाएगा।

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