भ्रष्ट नोडल ऑफिसर के इशारे में हुई कागजों में धान खरीदी? अब मिलर्स से मिलकर कर रहे खानापूर्ति….

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भ्रष्ट नोडल ऑफिसर के इशारे में हुई कागजों में धान खरीदी? अब मिलर्स से मिलकर कर रहे खानापूर्ति….

 

रायपुर – पूरे प्रदेश में धान खरीदी का कार्य संपन्न हो गया है। विभाग अब सभी सोसाइटी से खरीदे गए धान की मात्रा को जीरो शार्ट कर उठाव कराने में लगी हुई है। नवीन जिला सक्ती में भी अधिकारी लगे हुए हैं। लेकिन इसी बीच बड़ी खबर आ रही है सक्ती जिले के कई धान खरीदी केंद्रों में नोडल ऑफिसर अश्वनी पाण्डेय के इशारों पर कागजों में धान की खरीदी की गई है जिसकी पूर्ति करने के लिए अब मिलर्स से कागजों में पूर्ति करने की जद्दोजहद की जा रही है।

आपको बता दें नोडल ऑफिसर अश्वनी पाण्डेय के ऊपर पूर्व में भी भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे हुए हैं जिसकी जांच भी अभी तक लंबित है। लेकिन इतने बड़े गंभीर आरोप लगने के बाद भी अश्वनी पाण्डेय को इतनी बड़ी जिम्मेदारी फिर से दे दी गई जो कि पूरे विभाग में चर्चा बना रहा।

उल्लेखनीय है छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक मात्रा में धान की खरीदी जांजगीर जिले में होती है जिसका हिस्सा पूर्व में नवीन जिला सक्ती भी रहा है। इस दोनों जिले के नोडल ऑफिसर अश्वनी पाण्डेय जिन पर पहले से ही कई गंभीर आरोप लग चुके हैं जिसकी जांच भी चल रही है। फिर भी ऐसे अधिकारी के नेतृत्व में इस बार फिर 2 जिले का धान खरीदी का कार्य संपन्न कराया गया है जिसकी चर्चा खूब होती रही।

सूत्रों की माने तो सक्ती जिले के कई धान खरीदी केंद्रों में सिर्फ कागजों में धान की खरीदी की गई है जिसके उदाहरण भी सामने आए थे। लेकिन कहावत है कि “सैंया भए कोतवाल तो डर किस बात की”। इस बात को चरितार्थ करते हुए नोडल ऑफिसर खरीदी प्रभारी और समिति के लोगों को बचाने अपने परिचित के राइस मिलर्स को कागजों में धान की पूर्ति करने इशारा कर दिया गया।

इस बात की सच्चाई विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से छुपी नहीं है। लेकिन कहते हैं ना सोने का अंडा देने वाली मुर्गी किसे पसंद नहीं है। अब यह सोने का अंडा देने वाली मुर्गी कौन है यह भी किसी से छुपी नहीं हैं। यही कारण है कि करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने के बाद भी पिछले 4 साल से एक ही अधिकारी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी जा रही है।

पूर्व में लगा है भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप…

नोडल ऑफिसर अश्वनी पाण्डेय सहकारी बैंक के एक चर्चित अधिकारी भी हैं जिनके ऊपर पूर्व में अपने कार्यकाल के दौरान डभरा सहकारी बैंक प्रबंधक के पद पर रहते हुए फर्जी केसीसी लोन और समिति में राशि घपला करने का गंभीर आरोप भी लगा हुआ हैं जिसकी शिकायत भी हुई थी। शिकायत के बाद जांच टीम गठित किया गया था लेकिन अब भी जांच लंबित है।

इसके अलावा एक धान खरीदी केंद्र भी है जिसमें करोड़ों का घपला किया गया था। इस तरह के फर्जीवाड़े में नोडल ऑफिसर की संलिप्तता सारे दस्तावेज अपने आप में प्रमाणित कर रहा है, बावजूद जिम्मेदार अधिकारी इस तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त नोडल ऑफिसर को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अधिकारियों की इस तरह की मेहरबानी कहीं ना कहीं उनके प्रभाव को स्पष्ट कर रही है। हालांकि यह प्रभाव किस तरह का है यह तो अपने आप में एक सवाल है।

जांच की रडार में कौन कौन मिलर्स होंगे शामिल?

कागजों में धान की खरीदी करने वाले धान खरीदी केंद्र प्रभारी, कंप्यूटर ऑपरेटर, संरक्षण देने वाले वरिष्ठ अधिकारी नोडल ऑफिसर के अलावा वो मिलर्स भी जांच की रडार में आ सकते हैं जिन्होंने कागजों में धान का उठाव किया है।

पूर्व में हुई शिकायत पर मिल चुका है क्लीन चिट…

इस पूरे मामले में नोडल ऑफिसर अश्वनी पाण्डेय का कहना है कि मेरे ऊपर पूर्व में लगाए गए सभी आरोपों की जांच हो चुकी है जिसमें मुझे क्लीन चिट भी मिल गया है। लेकिन उन्होंने इस मामले से जुड़े कोई भी दस्तावेज नहीं दिखाया और ना ही कैमरे के सामने बोलने में सहमति जाहिर की। वहीं दूसरी तरफ जांच टीम द्वारा मामले पर जांच लंबित होने की बात कही जा रही है।

हालांकि अश्वनी पाण्डेय के खिलाफ एक शिकायत कलेक्टर कार्यालय सक्ती तक पहुंच चुकी है जिस पर जांच होनी बाकी है। अब देखना होगा कि जिम्मेदार अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त नोडल अधिकारी अश्वनी पाण्डेय को बचाने में लगे रहेंगे या फिर इनके खिलाफ मिली शिकायत पर जल्द कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

समाचार की अगली कड़ी में अश्वनी पाण्डेय द्वारा अपने पूर्व कार्यकाल के दौरान किए गए भ्रष्टाचार के साक्ष्य स्वरूप मिले दस्तावेजों के साथ उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को उजागर किया जायेगा।

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