श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस में महाराज जी ने श्रोताओं को भगवान कृष्ण के 108 विवाह का वर्णन किया साथ ही फूलों की होली भी खेली गई

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श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस में महाराज जी ने श्रोताओं को भगवान कृष्ण
के 108 विवाह का वर्णन किया साथ ही फूलों की होली भी खेली गई

श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस श्री धाम वृंदावन के प्रख्यात भागवत प्रवक्ता श्री हित ललित वल्लभ जी महाराज ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहां की रुक्मणी कृष्ण विवाह के पश्चात भगवान ने सोलह हजार 108 विवाह और किए जिसमें रुकमणी सत्यभामा आदि आठ पटरानीया मुख्य थी व्योमासुर राक्षस की कैद से सोलह हजार एक सौआठ कन्याओं को मुक्त कराया सब कन्याओं ने कहा कि अब हम कहां जाएं हमारे घर वाले हमें स्वीकार नहीं करेंगे सब भगवान ने उनसे विवाह किया इस तरह भगवान ने सोलह हजार एक सोआठ विवाह संपन्न किए प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए सुभद्रा हरण बाणासुर की पुत्री उषा से अनिरुद्ध जी का विवाह वर्णन कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण के समय ब्रज वासियों का मिलन वर्णन करते हुए श्री सुदामा जी के चरित्र का वर्णन किया और बताया कि श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता कभी भूल ही नहीं जा सकती सुदामा एक श्रेष्ठ जितेंद्रिय ब्रह्म को जानने वाले थे लोग उन्हें निर्धन कहते हैं लेकिन सबसे बड़ा धनी वही है जिसके पास श्री कृष्ण नाम का धन है सुदामा जी कृष्ण के मित्र भी थे और भक्त भी महाराज जी ने आगे दत्तात्रेय के 24 गुरुओं का वर्णन करते हुए कलयुग में मनुष्य कैसा आचार व्यवहार करेगा जीव कि अपने धर्म के प्रति निष्ठा होनी चाहिए चाहिए ,1 अध्याय में विषय अनुक्रमणिका के माध्यम से संपूर्ण श्रीमद् भागवत श्रवण कराए और हरि नाम संकीर्तन के साथ कथा को विश्राम किया, कथा विश्राम के समय श्री राधा कृष्ण की झांकी सजाई गई और फूलों की होली हुई फूलों की होली में भक्त नृत्य करने लगे

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