जिला अस्पताल गेट में लगा दिया ताला, प्रबंधन के निर्देशों की खुलेआम उड़ाई जा रही धज्जियां, मरीज और परिजन हो रहे हलाकान….

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District hospital gate locked, instructions of the management are being openly flouted, patients and relatives are in trouble….

कोरबा। जिला अस्पताल का गेट बंद होने के कारण मरीज के परिजनों को अब भी हलकान होना पड़ रहा है। परिजन दीवार फांद कर या गेट में चढ़कर आने जाने को मजबूर हो गए हैं। इसमें महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। प्रबंधन ने जिन्हें गेट खोलने और बंद करने की जिम्मेदारी दी है वह अपने जिम्मेदारियों में स्वेच्छा चारिता दिखा रहे हैं जिसके कारण लोगों को अनावश्यक परेशानियां झेलनी पड़ रही है जिससे कभी भी कोई अनहोनी घटना के होने का भी डर बना हुआ है।

इस मामले को लेकर पूर्व में भी समाचार का प्रकाशन किया गया था जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन हरकत में आई थी और बैठक आयोजित कर समय सीमा का निर्धारण करते हुए गेट खोलने और बंद करने का निर्देश दिया गया था बावजूद जिम्मेदार द्वारा प्रबंधन के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

अस्पताल के गेट को ताला लगाकर बंद करने की स्वेच्छा चारिता जिस तरह से दिख रही है उसे एक तरह से दबंगई भी कहा जाए तो कोई गलत बात नहीं होगी क्योंकि जिस मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधन स्वयं गंभीर है वहां पर भी जिम्मेदार अपनी मनमानी कर रहा है। ऐसे गैर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ अस्पताल प्रबंधन को सख्त कार्रवाई करने की भी जरूरत है ताकि इस तरह के मामलों की पुनरावृति को होने से रोका जा सके।

प्रबंधन के बताए अनुसार सुबह 8:00 बजे से रात्रि 8:00 बजे तक गेट को खुला रखने का निर्देश दिया गया है। लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है और अपनी मनमानी को दर्शाते हुए कभी 9:00 बजे तो कभी 10:00 बजे गेट को खोला जाता है और शाम 6:00 बजे के बाद गेट को बंद कर दिया जाता है। गेट बंद होने से ना सिर्फ मरीज और उनके परिजन परेशान हो रहा है बल्कि अस्पताल में कार्य करने वाले स्टाफ भी इस मार्ग का उपयोग आने जाने में करते हैं जो कि परेशानी का शिकार हो रहे हैं।

गेट बंद होने के कारण अस्पताल में बनी दीवार अब टूटने लगी है क्योंकि लोगों का आना जाना भी उस दीवार से होने लगा है और लोग भी आने जाने के लिए दीवार को क्षतिग्रस्त कर दिए हैं। पूर्व में इस दीवार को मरम्मत करते हुए सुधारा गया था लेकिन वर्तमान स्थिति में दीवार फिर से टूट चुकी है जिससे सुरक्षा पर भी सवाल उठने लगा है।

कैदियों की भांति गेट के दूसरी तरफ खड़े रहते हैं परिजन

जिला अस्पताल का दरवाजा बंद होने के कारण मरीज के परिजन बाहर अपनी जरूरत की चीजों को लेने के लिए गेट के पास आकर कैदियों की भांति खड़े रहते हैं और आने जाने वाले लोगों को आवाज लगाकर मदद की गुहार लगाते हैं फिर भी जिम्मेदार को लोगों की कोई परवाह नहीं है।

समय सीमा में होना चाहिए परिवर्तन

लोगों का कहना है कि प्रबंधन द्वारा जो समय निर्धारित की गई है उसमें परिवर्तन की जरूरत है क्योंकि सुबह 7 बजे से लोग आने जाने और चाय नाश्ता करने के लिए बाहर निकलना चाहते हैं। लेकिन गेट बंद होने के कारण उन्हें इन जरूरतों से महरूम होना पड़ता है।

अब सवाल यह है कि आखिरकार अस्पताल में बनी मुख्य द्वार पर ताला लगाकर बंद कर देने की मनमानी किसकी है और इनके खिलाफ प्रबंधन कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? अब देखना होगा कि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन क्या कार्रवाई करती है।

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