धान खरीदी का लिमिट अंतिम दिन किसने बढ़ाई? खरीदी प्रभारी, कंप्यूटर ऑपरेटर, समिति अध्यक्ष ने कर दिया फर्जीवाड़ा? सत्यापन अधिकारी भी शामिल?

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Who increased the limit of paddy purchase on the last day? Purchase in-charge, computer operator, committee chairman committed forgery? Verification Officer included?

रायपुर – धान खरीदी को लेकर लगातार सुर्खियों में बने सक्ती जिले के धान खरीदी केंद्र पतेरापाली में जांच को लेकर जिम्मेदार विभाग अब भी सख्त नजर नहीं आ रहे हैं जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण मामले में अब तक भौतिक जांच नहीं की गई है। वहीं दूसरी तरफ खरीदी केंद्र से धान उठाव शुरू हो गया है। चर्चे में समिति अध्यक्ष और सत्यापन अधिकारी के भी इस मामले में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।

उल्लेखनीय है धान खरीदी समाप्त हो गई है। अब उठाव होना शुरू हो गया है वहीं जिले में कितनी मात्रा में धान की खरीदी इस वर्ष की गई है उसका भी डाटा बनकर तैयार है। लेकिन खरीदी के अंतिम दिन धान खरीदी केंद्र पतेरापाली में खरीदे गए धान को लेकर फर्जीवाड़े की एक बड़ी करतूत सामने आई है जिसमें खरीदी केंद्र प्रभारी समिति के अध्यक्ष और ऑपरेटर की भूमिका संदिग्ध है।

खरीदी को लेकर चर्चे में आना इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि 31 जनवरी को धान खरीदी का अंतिम दिवस था और उसी दिन खरीदी का लिमिट भी पूर्व से बढ़ाया गया था और उसी दिन टोकन काटकर धान की खरीदी कर दी गई और सत्यापन भी हो गया वह भी बिना भौतिक जांच किए। सबसे बड़ी बात जिन किसानों से धान की खरीदी की गई है वे किसान आखिर अंतिम दिन ही अपना धान क्यों बेचने आए इसमें भी खरीदी प्रभारी के मिले होने की संभावना है क्योंकि सभी खरीदी केंद्रों में अंतिम दिन सत्यापन का कार्य किया जाता है जिसकी तैयारी भी की जाती है और इस बार धान खरीदी में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं आई है फिर भी अंतिम दिन ही खरीदी लिमिट बढ़ाना पड़ा और खरीदा गया।

खरीदी प्रभारी द्वारा अपने बेटे को इस मामले में सहयोग लिया गया है और खरीदी केंद्र में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर की अनुपस्थिति में अपने पुत्र से ही कार्य कराया गया है। इसके अलावा एकाएक खरीदी के अंतिम दिन लिमिट बढ़ाकर धान खरीदी करना कई सारे सवालों को भी जन्म दे रहा है।

 

समिति अध्यक्ष ने कहा मुझे नहीं मालूम…

इस संदर्भ में समिति के अध्यक्ष राजेश गबेल का बयान भी अजीबोगरीब है। समिति अध्यक्ष का कहना है कि खरीदी के अंतिम दिवस कितनी मात्रा में धान की खरीदी हुई इसकी जानकारी मुझे नहीं है और खरीदी लिमिट को कैसे बढ़ाया गया यह भी मुझे मालूम नहीं है। इसके अलावा फड़ में 31 जनवरी की धान के भौतिक सत्यापन को लेकर अधिकारी कब आए थे इसकी भी सूचना मुझे नहीं दी गई थी और ना ही मेरे समक्ष सत्यापन किया गया है।

भौतिक सत्यापन में हुई बड़ी लापरवाही…

इस संदर्भ में धान खरीदी केंद्र पतेरापाली में नियुक्त सत्यापन अधिकारी देवव्रत राठौर (विकास खंड शिक्षा अधिकारी सक्ती) ने मीडिया को जो जानकारी दिया है उसमें उनका कहा है कि मेरे द्वारा दिनांक 31/01/2023 को मौके पर जाकर धान की मात्रा का भौतिक सत्यापन नहीं किया गया है। खरीदी प्रभारी और कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा जो जानकारी कंप्यूटर से ऑनलाइन निकाल कर दी गई थी उन दस्तावेजों के आधार पर उनके स्वयं के हस्ताक्षर उपरांत मेरे द्वारा मात्रा पूर्ण होने सत्यापित कर दिया गया।

खरीदी प्रभारी ने अपने पुत्र से कराया ऑपरेटर का कार्य…..

धान खरीदी केंद्र पतेरापाली में कंप्यूटर ऑपरेटर जयप्रकाश गबेल की नियुक्ति की गई है। बावजूद जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के वरिष्ठ अधिकारी के उपस्थिति में खरीदी प्रभारी महेत्तर साहू द्वारा अपने पुत्र श्याम कुमार जो कि धान खरीदी केंद्र पोरथा नवापारा में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर पदस्थ है से कार्य कराया गया।

खरीदी की लिमिट अंतिम दिन क्यों और किसने बढ़ाई…

इस पूरे मामले में सबसे अचरज और षड्यंत्र रचने की बात इसलिए कहीं जा रही है क्योंकि धान खरीदी केंद्र में प्रतिदिन धान की खरीदी करने की जो मात्रा तय की गई थी वह अंतिम दिवस में खरीदे गए धान की मात्रा से कम थी और अचानक अंतिम दिन खरीदी लिमिट को बढ़ाकर इतनी मात्रा में धान खरीदने की अनुमति कैसे दी गई और इसकी जानकारी किस किस तक पहुंचाई गई थी, यह भी जांच का मामला है।

भ्रष्टाचार के खेल में मुख्य सरगना कौन?

धान खरीदी में हुई फर्जीवाड़ा के भ्रष्टाचार के मुख्य खेल के पीछे का मुख्य चेहरा कौन है और इसका चेहरा कब लोगों के सामने आएगा यह तो प्रशासन की कार्रवाई के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। लेकिन संभावना यह भी जताई जा रही है कि इस खेल के पीछे बैंक से जुड़े बड़े अधिकारी और जिले के नोडल अधिकारी का संरक्षण मिलना बताया जा रहा है जिसकी सह पर खरीदी प्रभारी अब तक जांच की आंच में नहीं आया है। लेकिन हमारे द्वारा समाचार में इनकी करतूतों को लगातार प्रकाशित किया जाएगा।

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