वनाधिकार और भू विस्थापितों की मांगों को मुख्यमंत्री तक पहुचाने के लिए किसान सभा ने 2 घंटे तक किया धरना प्रदर्शन

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Kisan Sabha protested for 2 hours to reach the demands of forest rights and land oustees to the Chief Minister

कोरबा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कटघोरा विधानसभा आगमन पर भू विस्थापितों को नियमित रोजगार देने और वनभूमि पे कबीजों को वनाधिकार पट्टा देने की मांग को मुख्यमंत्री तक पहुचाने के लिए धरना प्रदर्शन की घोषणा छत्तीसगढ़ किसान सभा ने की थी घोषणा के अनुसार किसान सभा ने नोनबिर्रा के बगल गांव रैनपुर में 2 घंटे तक धरना प्रदर्शन किया जिसके बाद दीपका थाना प्रभारी ने मांगपत्र को मुख्यमंत्री तक पहुचाने और कटघोरा एसडीएम ने मुख्यमंत्री से कटघोरा में मिलकर चर्चा करने का आश्वासन दिया जिसके बाद धरना समाप्त हुआ।

मुख्यमंत्री के दौरे में शायद यह पहली बार हुआ है कि किसी किसान संगठन ने वनाधिकार और भू विस्थापितों के मुद्दे पर प्रदर्शन की घोषणा की हो और सैकड़ों भू विस्थापित गरीब किसान धरना प्रदर्शन में शामिल हुए।

भू विस्थापित एवं वनभूमि पे कबीजों में यह चर्चा रही कि एक ओर तो पूरी प्रशासनिक ताकत झोंक कर मुख्यमंत्री की बात सुनने के लिए भीड़ जुटाई गई, वहीं दूसरी ओर वनाधिकार और भू विस्थापितों की जनसमस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने से रोकने का प्रयास पूरे जिसे के प्रशासनिक अधिकारी करते रहे।

किसान सभा के नेता जवाहर सिंह कंवर, और प्रशांत झा ने कहा है कि वनाधिकार के मुद्दे पर कोरबा जिले में सरकारी दावों की पोल खुल गई है। पूरे जिले में वन भूमि पर कबीजों की बेदखली का अभियान चल रहा है। पुराने आवेदनों को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया है और नए आवेदन पत्र तो लिए ही नहीं जा रहे हैं। जंहा आवेदन लिये भी जा रहे हैं वंहा आवेदकों को पावती नहीं दी जा रही है। इस मामले पर मुख्यमंत्री का अपने प्रशासन पर ही कोई नियंत्रण नहीं है। किसान सभा के नेताओं ने आगामी दिनों में वन भूमि से बेदखल लोगों को पुनः काबिज कराने की मुहिम छेड़ने और वनाधिकार पट्टा के लिए आंदोलन का विस्तार करने की घोषणा की है।

उल्लेखनीय है कि रैनपुर में गलत तरीके से दावों को खारिज कर कब्जाधारियों को बेदखल करने का मामला सामने आया था तो बसीबार मे काबिज किसान के भूमि पे खड़ी फसल को रौंद कर गौठान बनाया जा रहा है और कोरबा निगम के क्षेत्र में वन भूमि पर बसे आदिवासियों एवं अन्य सभी कबीजों को पट्टा देने के लिए तो प्रशासन तैयार ही नहीं है। इन घटनाओं को केंद्र में रखकर किसान सभा ने वनाधिकार का मुद्दा उठाया है।

किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा का कहना है कि प्रशासन के रवैये से यह साफ जो चुका है कि कम-से-कम वनाधिकार के सवाल पर कांग्रेस-भाजपा में कोई अंतर नहीं है। पिछली भाजपा सरकार की तरह ही इस बार की कांग्रेस सरकार में भी आदिवासियों के साथ हुए ‘ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने की कोई राजनैतिक इच्छाशक्ति नहीं है। उनका कहना है कि वनाधिकार के मामले में कोरबा जिला प्रशासन और वन विभाग सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और दिशा-निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है।

किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि कोयला उत्पादन के नाम पर बड़े पैमाने पर किसानों को विस्थापित किया जा रहा है। भू विस्थापितों को जमीन अधिग्रहण के बाद रोजगार और मुआवजा के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। जिले के प्रशासनिक अधिकारी केवल जमीन छीनने में लगे हुए हैं। किसान सभा ने पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण, नए पुराने सभी अधिग्रहण में प्रत्येक खातेदार को रोजगार देने, शासकीय भूमि पे कबीजों को भी मुआवजा और बसावट देने, जिन्हें बसावट नहीं मिला उन्हें बसावट देने की मांग की है।

आज के प्रदर्शन में हेम सिंह, वेद प्रकाश, मान सिंह, दिलहरण चौहान, सेवा राम, संजय यादव, पुरषोत्तम, अमरजीत कंवर, सत्रुहन दास, दामोदर श्याम, रेशम यादव, जय कौशिक, रघु लाल यादव, राहुल जयसवाल, पवन यादव, विशंभर, बसंत चौहान, मोहन लाल यादव, राधेश्याम पटेल, कृष्णा, चंद्रशेखर, शिवदयाल कंवर, सुमेंद्र सिंह, मानिक दास, उत्तम दास, उमेश यादव, अशोक, रघु आदि कार्यकर्ता प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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