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Mokshada Ekadashi : मोक्षदा एकादशी वर्ष की उन महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है, जो न केवल पापों से मुक्ति दिलाती है बल्कि मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी खोलती है। इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है, क्योंकि इस पावन तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। यह योग का, भक्ति का और धर्म के सर्वोच्च ज्ञान का दिन माना जाता है। इस अवसर पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा विशेष फल प्रदान करती है। नीचे जानें पूरी पूजा विधि, मंत्र, पसंदीदा फल-फूल, आरती और भोग-विधान।
मोक्षदा एकादशी पूजा विधि (Puja Vidhi)
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ब्रह्म मुहूर्त में उठें और पवित्र नदी या घर पर गंगाजल मिले जल से स्नान करें।
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पीले वस्त्र धारण करें—यह भगवान विष्णु का प्रिय रंग है।
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पूजा स्थल पर श्रीकृष्ण और श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
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हाथ में जल, फूल और अक्षत (चावल) लेकर व्रत का संकल्प लें और मोक्ष-सुख की कामना करें।
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भगवान को पंचामृत स्नान कराएं।
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इसके बाद पीले वस्त्र, तुलसी दल, धूप–दीप, फल और मिठाई अर्पित करें।
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मोक्षदा एकादशी की कथा और श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें।
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अंत में आरती उतारें।
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पूजा में हुई किसी त्रुटि के लिए क्षमायाचना करें।
भगवान को प्रिय फूल (Favorite Flowers)
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कमल का फूल—भगवान विष्णु का अत्यंत प्रिय
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पीले/लाल रंग के फूल—गेंदा, गुलाब, गुड़हल
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पूजा में तुलसी दल अनिवार्य है
भोग (Bhog)
एकादशी पर केवल सात्विक भोग चढ़ाया जाता है। आप ये भोग अर्पित कर सकते हैं—
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पंजीरी
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केसर की खीर
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पंचामृत
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केला, खीरा, संतरा
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माखन, मिश्री, मेवा
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पीले रंग की मिठाई
पूजा मंत्र (Mantra)
1. विष्णु मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय॥
2. श्रीकृष्ण मंत्र
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः॥
गीता जयंती पर जरूर करें ये दो विशेष कार्य (Geeta Jayanti Dos)
1. गीता पाठ
पूरे श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें। यदि समय कम हो तो 11वें अध्याय का पाठ अवश्य करें—इसी अध्याय में श्रीकृष्ण ने अपना विराट स्वरूप दिखाया था।
2. गीता दान
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किसी मंदिर
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योग्य ब्राह्मण
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विद्यार्थी
को श्रद्धापूर्वक गीता पुस्तक दान करें। यह मोक्ष प्राप्ति का सबसे श्रेष्ठ कार्य माना जाता है।
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