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रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी सत्र शुरू होने से पहले ही विवाद बढ़ गया है। राज्य सरकार की धान खरीद नीति का विरोध अब तेज हो गया है। सहकारी समिति कर्मचारी और पटवारी अपनी 4 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं, जिससे धान खरीदी की तैयारी प्रभावित हो रही है।
कर्मचारियों और पटवारियों की मुख्य मांगें
विरोध कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि सरकार को उनकी पुरानी मांगों पर जल्द निर्णय लेना चाहिए।
इनकी प्रमुख मांगें हैं —
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सूखत और शॉर्टेज के नुकसान का पूरा भुगतान।
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समितियों के कमीशन और सुरक्षा व्यय में वृद्धि।
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धान परिवहन का समय पर पूरा होना।
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अतिरिक्त ड्यूटी से पटवारियों को राहत।
पटवारियों का विरोध: “पहले से ही राजस्व कार्यों का दबाव”
राजस्व पटवारी संघ ने धान खरीदी केंद्रों में उनकी अतिरिक्त ड्यूटी लगाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि उनके पास पहले से ही महत्वपूर्ण राजस्व कार्यों का दबाव है और अब अतिरिक्त जिम्मेदारी देना अनुचित है।
प्रशासनिक खामियों से किसान परेशान
धान खरीदी की तैयारी के बीच एग्रीस्टेक पोर्टल में तकनीकी खामियां सामने आई हैं। रकबा एंट्री और पंजीयन प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण किसान परेशान हैं। पहले जो काम एकीकृत पोर्टल पर आसानी से होता था, अब उसमें त्रुटियों के चलते फसल पंजीकरण अटक रहा है।
किसानों पर सीधा असर
कर्मचारियों की हड़ताल और तकनीकी दिक्कतों के चलते धान खरीदी केंद्रों का कामकाज ठप हो गया है।
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धान तौल और खरीदी की प्रक्रिया रुक गई है।
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किसानों को खाद और बीज के भुगतान में देरी का सामना करना पड़ रहा है।
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संभावना जताई जा रही है कि धान खरीदी की तारीख आगे बढ़ सकती है।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
सूत्रों के अनुसार, शासन स्तर पर आंदोलन कर रहे कर्मचारियों से बातचीत की जा रही है। प्रशासन का दावा है कि धान खरीदी में किसानों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था तैयार की जा रही है।
प्रदेशभर में असर
बालोद, बेमेतरा, रायगढ़, कोरबा और बिलासपुर जिलों में अधिकांश समितियों में कामकाज बंद है। वहीं कुछ जगहों पर किसानों ने भी अपनी फसल तौल कराने से इंकार कर दिया है।

