Supreme Court , नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि अब किसी भी व्यक्ति की गिरफ़्तारी के समय उसे लिखित रूप में गिरफ़्तारी के आधार दिए जाने अनिवार्य होंगे। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह जानकारी उस भाषा में दी जानी चाहिए जिसे आरोपी समझता हो, अन्यथा ऐसी गिरफ़्तारी और उसके बाद दिया गया रिमांड दोनों अवैध माने जाएंगे।
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दो घंटे के भीतर पूरी हो प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाए, तो मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाने के दो घंटे के भीतर उसे गिरफ्तारी के आधार की लिखित जानकारी देनी होगी। यदि ऐसा नहीं किया जाता, तो यह संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा।
गिरफ्तारी की सूचना और आधार दो अलग बातें
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी की सूचना (Information of arrest) और गिरफ्तारी का आधार (Grounds of arrest) दो अलग-अलग विषय हैं। सिर्फ यह बताना कि व्यक्ति गिरफ्तार हुआ है, पर्याप्त नहीं है। उसे गिरफ्तारी के कारणों की पूरी लिखित जानकारी देना अनिवार्य है।
न्यायिक पारदर्शिता और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को न्यायिक पारदर्शिता और नागरिक स्वतंत्रता को मजबूत करने वाला कदम माना जा रहा है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पुलिस मनमानी तरीके से गिरफ्तारी न कर सके और आरोपी को अपने बचाव का पूरा अवसर मिल सके।
फैसले का प्रभाव
यह फैसला देशभर में कानून-व्यवस्था एजेंसियों के लिए एक दिशानिर्देश के रूप में काम करेगा। अब पुलिस को गिरफ्तारी के समय पूरी पारदर्शिता रखनी होगी और आरोपी के अधिकारों का सम्मान करना होगा।