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ईशिका लाइफ फाउंडेशन ने बाँटा स्नेह और मिठास
जांजगीर चांपा। सूरज अपनी पूरी आभा के साथ क्षितिज पर आता भी नहीं है पर जांजगीर के नेताजी चौक पर एक समूह का कर्मयोग शुरू हो जाता है। ये हैं वे गुमनाम कर्मवीर जो शहर के हर घर तक सूचना, ज्ञान और देश-दुनिया की खबरें पहुँचाते हैं हमारे अख़बार वितरक हॉकर्स। दीपावली के दिन इसी चौक पर इन नायकों को एक ऐसा भावनात्मक सम्मान मिला, जिसने कड़ाके की ठंड में भी सबके दिलों को गर्मजोशी से भर दिया। ईशिका लाइफ फाउंडेशन ने एक अनूठी पहल करते हुए दशकों से निस्वार्थ सेवा कर रहे इन हॉकरों को उपहार और मिठाइयाँ भेंट कीं। यह महज़ सामग्री का आदान-प्रदान नहीं था, बल्कि उनकी अनवरत मेहनत को मिली एक हार्दिक स्वीकृति थी। फाउंडेशन का मानना है कि हॉकरों की सुबह वैसी ही मीठी हो, जैसी वे हर घर में ज्ञान और आशा की रोशनी पहुँचाकर करते हैं। इस पहल ने जांजगीर में एक नई बहस को जन्म दिया है उन अदृश्य श्रमिकों को पहचानने की, जिनका योगदान भले ही खबरों में न छपे, पर वे हर रोज़ लाखों लोगों की जिंदगी को प्रभावित करते हैं। नेताजी चौक की वह सुबह, अख़बारों की स्याही की गंध के साथ-साथ मानवीय स्नेह की मिठास से भी महक उठी।
रात की स्याही और दिन का उजाला
फाउंडेशन के संस्थापक गोपाल शर्मा ने इस अवसर पर कहा जब हम सब अपने बिस्तरों में आराम कर रहे होते हैं, तब ये लोग साइकल और पैदल ही खबरों की गठरी लेकर निकल पड़ते हैं। इनका काम सिर्फ़ अख़बार पहुँचाना नहीं है, ये समाज में जागरूकता, लोकतंत्र की नींव और हर सुबह की शुरुआत का अलार्म हैं।
इस कार्यक्रम में करीब पचास से अधिक हॉकरों ने भाग लिया। कईयों की आँखें नम हो गईं जब उन्हें पता चला कि किसी संस्था ने विशेष रूप से उनके योगदान को पहचाना है।
यह हमारे कई साल की मेहनत का फल
अमित नामदेव दस साल से अधिक समय तक यह काम किया है, भावुक होते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी कि हमेशा यही लगता था कि हम बस एक डिलीवरी मैन हैं। आज पहली बार लगा कि हम भी समाज का एक ज़रूरी हिस्सा हैं। ईशिका फाउंडेशन का यह स्नेह हमें याद दिलाता है कि हमारी मेहनत व्यर्थ नहीं जाती। आज तक किसी नेता या किसी संस्था ने हमे ऐसा उपहार नहीं दिया है। ये मिठाइयाँ सिर्फ़ मुँह मीठा नहीं कर रही हैं, बल्कि हमारे सालों के संघर्ष को सम्मान दे रही हैं।

