Sunday, October 19, 2025

बिहार से काम करने आए युवक ने 14 साल की नाबालिक बच्ची का किया अपहरण, कार्यवाही को लेकर दीपका पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में?

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छत्तीसगढ़/कोरबा जिले के दीपका थाना क्षेत्र अंतर्गत 14 वर्षीय नाबालिक बच्ची के अपहरण की शिकायत में 2 माह बीत जाने के बाद भी सफलता नही मिल पाई है मामले को लेकर छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप मिरी प्रदेश संगठन मंत्री उमागोपाल सहित छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के पदाधिकारियों व सदस्यों ने कोरबा पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी को लिखित शिकायत कर त्वरित कार्रवाई की मांग किए है।

 

नाबालिग की अपहरण की घटना का उल्लेख करते हुए बताया है 19 जुलाई 2025 को आरोपी लल्लन सिंह निवासी बनगांव थाना जिला सहरसा बिहार द्वारा दीपका थाना क्षेत्र से अपहरण कर भगा लिया गया है मामले की लिखित शिकायत 21 जुलाई 2025 को थाना दीपका में दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने अपराध दर्ज तो कर लिया लेकिन अभी तक दीपका पुलिस के हाथ इतने संवेदनशील मामले में सफलता से कोसों दूर है।

क्या है पूरा मामला…..

 

जानकारी के अनुसार दीपका थाना क्षेत्र अंतर्गत नल जल योजना में बिहार से आए मजदूर कार्य करता था आरोप है इसी दौरान नाबालिक बच्ची को 19 जुलाई 2025 को अपने साथ अपहरण कर लिया जिसके बाद 21 जुलाई को परिजनों के द्वारा दीपका थाना में लिखित शिकायत प्रस्तुत किया गया शिकायत के आधार पर दीपका थाना प्रभारी प्रेमचंद साहू BNS की धाराओं के साथ अपराध पंजीबद्ध कर खोजबीन में जुट गई।

शिकायत के बाद दीपका पुलिस की कार्यवाही से असंतुष्ट परिजन 12/08/25 को पुलिस अधीक्षक महोदय सिद्धार्थ तिवारी से गुहार लगाने पहुंच गए इसके बाद उन्हें आदेशित किया गया, लगभग 25 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस गुम हुई बच्ची की पता साजी करने में नाकाम रही इसके बाद बच्ची के परिजन द्वारा 08 /09 /2025 को त्वरित कार्रवाई की आस में कोरबा कलेक्टर के जन दर्शन में उपस्थित होकर न्याय की गुहार लगाई 2 माह बीत जाने के बाद भी आज की तारीख तक आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है और ना ही नाबालिक की सकुशलता की खबर है।

उल्लेखनीय है  2 माह का समय बीत जाने के बाद भी महिला और नाबालिग संबंधित गंभीर मामले में पुलिस को सफलता नही मिलना दीपका थाना प्रभारी प्रेमचंद साहू के कर्तव्यनिर्वाहन पर प्रश्नचिन्ह लगाता है?

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आखिर क्या कर रही है दीपका पुलिस सवाल तो उठाता है परिजन अपनी बच्ची के अपहरण की शिकायत को लेकर कभी पुलिस अधीक्षक के दफ्तर में गुहार लगा रही है तो कभी कलेक्टर के जनदर्शन में परिजनों का सब्र का बांध टुटता दिखाई पड़ रहा है और अपनी बच्ची के साथ किसी अनहोनी ना हो जाये इसका भी डर सता रही है, क्या 14 वर्षीय बच्ची की खोजबीन में 2 माह का समय कम है?

सवाल समझा जाए या कयास?

यदि किसी बड़े व्यापारी या किसी बड़े अधिकारी या किसी मंत्री या नेता की बेटी का अपहरण हुआ रहता तो क्या उसे शिकायत लेकर पुलिस अधीक्षक और जिला दंडाधिकारी, पुलिस महानिरीक्षक और पुलिस महानिदेशक के दफ्तर में न्याय की गुहार लगाने की आवश्यकता पड़ती? और क्या दो माह बीत जाने के बाद भी दीपका पुलिस द्वारा अति संवेदनशील मामलों पर की गई अब तक की कार्रवाई को संतोषप्रद माना जा सकता है ?

हालांकि इस मामले को लेकर समाजसेवी छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के द्वारा भी कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। वही शिकायत की प्रतिलिपि बिलासपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक, DM सहित राज्य बाल संरक्षण आयोग रायपुर,राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग दिल्ली तक भेजी गई है ।

 

अब देखना होगा 2 महीना से लापता बालिका की सकुशल तलाश में पुलिस को कब तक सफलता मिलती है।

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