Monday, October 27, 2025

परिवर्तिनी एकादशी 2025 कब है? जानें तिथि और दिन

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हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा में करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। इस साल यह व्रत 3 सितंबर, बुधवार को रखा जाएगा। व्रत रखने वाले भक्तों के लिए पारण का सही समय और विधि जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि सही समय पर पारण न करने से व्रत का फल अधूरा माना जाता है।

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परिवर्तिनी एकादशी 2025: व्रत और पारण का समय

  • एकादशी तिथि का प्रारंभ: 3 सितंबर 2025, बुधवार को सुबह 3 बजकर 53 मिनट पर।
  • एकादशी तिथि का समापन: 4 सितंबर 2025, गुरुवार को सुबह 4 बजकर 21 मिनट पर।
  • व्रत का पारण: 4 सितंबर 2025, गुरुवार को दोपहर 1 बजकर 36 मिनट से शाम 4 बजकर 7 मिनट तक।

व्रत पारण की विधि

एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में ही किया जाता है। व्रत का पारण करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

  1. स्नान और पूजा: द्वादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें भोग लगाएं।
  2. चावल का भोग: एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित होता है, इसलिए पारण के समय भगवान को चावल का भोग जरूर लगाएं और स्वयं भी चावल खाकर व्रत खोलें।
  3. तुलसी दल: भोग में तुलसी दल जरूर डालें, क्योंकि बिना तुलसी के भगवान विष्णु का भोग अधूरा माना जाता है।
  4. दान: पारण के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या अन्न का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
  5. सात्विक भोजन: पारण के बाद सात्विक भोजन ही करें। तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन और मांस से परहेज करें।

यह ध्यान रखें कि व्रत का पारण हरि वासर की अवधि में नहीं करना चाहिए। हरि वासर का समय पारण के समय से पहले ही समाप्त हो जाता है, इसलिए आप निश्चिंत होकर दिए गए शुभ मुहूर्त में पारण कर सकते हैं।

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