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छत्तीसगढ़/कोरबा कोरबा में शासकीय भूमि पर कब्जा और उसकी बिक्री की खबर नई नहीं है आये दिन ऐसे खबर निकल कर आती रहती है और शिकायत होने के बाद भी कार्यवाही में प्रशासन की उदासीनता बरतने के कारण भू माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। इसी तरह का मामला कोरबा नगर पालिका निगम क्षेत्र कोरबा तहसील के ग्राम दादरखुर्द से सामने आई है जहां लगभग डेढ़ एकड़ शासकीय भूमि की बिक्री 48 लाख रुपए में गैरकानूनी तरीके से मलमामय विक्री इकरारनामा दस्तावेज नोटरी कराकर उसे भू माफियाओं के द्वारा छोटे-छोटे भूखंडों में बेचा जा रहा है।
शासकीय भूमि की बिक्री और खरीदी के मामले में भू माफियाओं का नाम सामने है जिसमें खरीददार पोड़ीबहार कोसाबाड़ी कोरबा निवासी नरेंद्र कुमार साहू विक्रेता दादरखुर्द निवासी दूरदेशी,चमरा सिंह,फिरत यादव,जितेंद्र राव घाघड़े,नरोत्तम घाघड़े व विनोद घाघड़े सहित कई लोग शामिल हैं।
शिकायतकर्ता की माने तो ग्राम दादर खुर्द पटवारी हल्का नंबर 21 राजस्व निरीक्षक मंडल दादरखुर्द तहसील व जिला कोरबा में स्थित भूमि खसरा नंबर 1535,1536,1534,1532 व 1533 शासकीय जमीन को अवैध कब्जा कर टुकड़ों में अवैध प्लाटिंग कर गैरकानूनी ढंग से भूमाफियाओं के द्वारा बिक्री किया जा रहा है।
यह शासकीय भूमि बॉस बाड़ी ग्रीनलैंड से लगी हुई है जिसे स्थानीय लोग बोइरमुड़ा कुम्हार पारा के नाम से जानते हैं इस स्थान के कुछ ही दूरी पर शासन की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास के तहत लगभग 2900 भवनों का निर्माण अंतिम चरण में है जिसके कारण यह जगह बेसकीमती हो गया है इसी का फायदा उठाते हुए शासकीय भूमि पर भू माफियाओं के द्वारा अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है और उसे अवैध प्लाटिंग करते हुए लाखों करोड़ों रुपए में बिक्री की जा रही है।
शिकायतकर्ता ने नरेंद्र कुमार साहू,दूरदेशी,चमरा सिंह,फिरत यादव,जितेंद्र राव घाघड़े,नरोत्तम राव घाघड़े और विनोद राव घाघड़े सहित अन्य दोषीयों के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई करते हुए शासकीय जमीन से अवैध कब्जा हटाने की मांग की गई है।
भू माफियाओं को पटवारी और पार्षद की है मौन स्वीकृति….
पटवारी कार्यालय दादरखुर्द से महज़ पांच सौ मीटर की दूरी पर बड़े पैमाने में शासकीय जमीन पर भू माफियाओं द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है और उसे गैर कानूनी ढंग से छोटे छोटे टुकड़ों में लाखों करोड़ों रुपये में खरीद विक्री का काम धड़ल्ले से हो रहा है फिर भी हल्का पटवारी दादरखुर्द को इसकी खबर ही नहीं है? और जानकारी है तो क्या कार्यवाही की गई? क्या इसकी जानकारी उसके द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारियों की दी गई? बड़ा सवाल है साथ ही जिम्मेदार जनप्रतिनिधि पार्षद भी शासकीय जमीनों पर हो रहे अवैध कब्जा के रोकथाम के लिए नगर निगम को अभी तक अवगत नहीं कराया गया है कहीं जिम्मेदार लोगों की ही भू माफियाओं को तो मौन स्वीकृति तो नहीं है?
जिला प्रशासन को चाहिए इस तरह के मामलों पर त्वरित संज्ञान लेकर कड़ी कार्रवाई करें ताकि शासकीय भूमि की खरीद फरोख्त करने वालों को कानूनी कार्रवाई की परिभाषा समझ में आ सके।