देश भर में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों की तादाद तेज़ी से बढ़ रही है। इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब और फ़ेसबुक से कई लोग अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं, मगर याद रखें—इस आय पर इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाख़िल करना अनिवार्य है। ऐसा न करने पर आयकर विभाग नोटिस भेज सकता है और कमाई छिपाने पर भारी जुर्माना भी लग सकता है। इस साल विभाग टैक्स चोरी पर विशेष निगरानी रख रहा है; ITR फ़ॉर्म के साथ-साथ विभिन्न आय स्रोतों को भी क्रॉस-चेक किया जा रहा है।
किन हालात में जानकारी देना ज़रूरी?
- यदि रील्स, ब्रांड डील, एफिलिएट लिंक, यूट्यूब-फ़ेसबुक कमाई या उपहारों की कुल राशि ₹50,000 से अधिक है, तो इसे ITR में ‘व्यावसायिक/पेशेवर आय’ के तहत दिखाना होगा।
- मुफ़्त गैजेट या होटल-स्टे जैसी परक़िस्मत सुविधाएँ भी करयोग्य भत्ते मानी जाती हैं।
इन्फ्लुएंसर के लिए टैक्स नियम
- टैक्स क़ानूनों के तहत इन्फ्लुएंसर स्वरोज़गार पेशेवर या व्यवसायी माने जाते हैं, इसलिए ब्रांड प्रमोशन, कमीशन, ऑनलाइन वर्कशॉप, मर्चेंडाइज़ बिक्री या विदेशी भुगतान—हर आय का ब्योरा देना आवश्यक है।
- आयकर अधिनियम की धारा 194R कहती है कि किसी ब्रांड द्वारा ₹20,000 से अधिक मूल्य के उपहार पर 10% TDS काटना ज़रूरी है, चाहे भुगतान नकद में हो या न हो।
- नकद, वस्तु, क्रिप्टो या वाउचर—कंटेंट के बदले मिली हर चीज़ “व्यवसाय या पेशे से आय” के तहत करयोग्य मानी जाएगी।
संक्षेप में, अगर आप सोशल मीडिया से कमाई कर रहे हैं तो समय पर ITR भरें और आय का पूरा विवरण दें, वरना टैक्स विभाग की सख़्ती और भारी दंड से बचना मुश्किल होगा।