टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक भिक्षु लोबसांग जामयांग ने भीख मांगने वाली पिंकी हरयान के जीवन में बदलाव लाया। आज पिंकी एक सफल चिकित्सक हैं। पिंकी अपनी मां के साथ भीख मांगती थी। भिक्षु ने पिंकी की जिंदगी बदलने का फैसला कर लिया। उन्होंने काफी मेहनत से पढ़ाई की। पिंकी डॉक्टर बनकर गरीबों की मदद करना चाहती है। जानिए उनकी प्रेरणादायक कहानी।
- जामयांग के प्रयासों से पिंकी बनी चिकित्सक।
- चीन से की है एमबीबीएस की पढ़ाई।
- गरीबों की मदद करना चाहती है पिंकी।
धर्मशाला। ‘करीने से तराशा ही न जाए तो किसी पहलू कहां हीरा चमकता है’। फराग रोहवी का यह शेर तिब्बती शरणार्थी एवं टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक भिक्षु लोबसांग जामयांग पर सटीक बैठता है। उनके प्रयास से ही कभी भीख मांगने वाले हाथ अब लोगों का दर्द दूर करेंगे। हम बात कर रहे हैं 20 वर्ष पहले मैक्लोडगंज स्थित बौद्ध मंदिर के पास भीख मांगने वाली पिंकी हरयान की।
उस समय पिंकी की उम्र साढ़े चार साल थी और वह मां के साथ भीख मांगती थी। बच्ची की हालत देखकर लोबसांग जामयांग ने उसका भविष्य संवारने की ठानी। यह भिक्षु के तप का ही परिणाम है कि आज पिंकी हरयान चिकित्सक बनी हैं। वर्ष 2017 में जब पिंकी ने जमा दो की परीक्षा पास की थी।