कोरबा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर मांस और मदिरा की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध के बावजूद, कोरबा जिला मुख्यालय से महज 500 मीटर की दूरी पर खुलेआम मछली काटकर बेची जा रही थी। BNA की खबर के प्रकाशन के तुरंत बाद प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंची और कार्रवाई की, हालांकि इस दौरान मछली विक्रेताओं को केवल समझाइश देकर छोड़ दिया गया।
यह मामला प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी और नियमों के पालन पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जब पूरे देश में महात्मा गांधी के आदर्शों को मान्यता देते हुए स्वच्छता और संयम का संदेश दिया जा रहा था, कोरबा में खुलेआम मांस की बिक्री हो रही थी। प्रशासनिक निर्देशों के बावजूद इस तरह की घटनाएं नियमों की अवहेलना और अधिकारियों की उदासीनता को दर्शाती हैं।
प्रशासन ने मछली विक्रेताओं को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया, जबकि इस तरह के मामलों में कानूनी कार्रवाई के प्रावधान भी मौजूद हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर प्रशासनिक अधिकारियों ने सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की और उन्हें सिर्फ समझाइश देकर क्यों छोड़ दिया गया?
नगर निगम के एक अधिकारी से जब इस मामले में प्रतिक्रिया ली गई, तो उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन सवाल यह है कि सुबह से मछली विक्रेता खुलेआम व्यापार कर रहे थे और इसके लिए जिम्मेदार कौन है? अधिकारियों द्वारा समय पर कदम नहीं उठाए जाने से प्रशासनिक लापरवाही उजागर होती है।
महात्मा गांधी जयंती के मौके पर इस प्रकार की घटनाएं न केवल प्रशासनिक निर्देशों की अवहेलना हैं, बल्कि यह समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी के प्रति लापरवाही को भी दर्शाती हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नगर निगम इस मामले पर किस प्रकार की ठोस कार्रवाई करता है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हो और प्रशासनिक निर्देशों का सख्ती से पालन हो सके।