*गेवरा: ठेका कंपनियों की मनमानी से त्रस्त मजदूर खदान बंद करने की तैयारी में, 1 अक्टूबर को हड़ताल का ऐलान*

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गेवरा: एसईसीएल (SECL) की गेवरा परियोजना में काम कर रहे ठेका मजदूर ठेका कंपनियों की मनमानी और शोषण से परेशान होकर खदान बंद करने की तैयारी में जुट गए हैं। मजदूरों का आरोप है कि एसईसीएल प्रबंधन ठेका कंपनियों को पूरी छूट दे रहा है, जिसके चलते ठेका कंपनियां मजदूरों का शोषण कर रही हैं और उनके अधिकारों का हनन कर रही हैं। ठेका कंपनी VFPL ASIPL JV RUNGTA द्वारा लगातार नियमों का उल्लंघन करते हुए मजदूरों को उनके हक से वंचित किया जा रहा है, जिससे मजदूरों को मजबूर होकर आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है।

मजदूरों ने ठोस कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए 1 अक्टूबर को गेवरा खदान बंद कराने की योजना बनाई है। मजदूरों का कहना है कि ठेका कंपनी VFPL ASIPL JV RUNGTA कोल इंडिया द्वारा निर्धारित वेतनमान का पालन नहीं कर रही है और मजदूरों का शोषण कर रही है।

मजदूरों की मांग है कि उन्हें कोल इंडिया द्वारा निर्धारित वेतनमान के अनुसार भुगतान किया जाए और अन्य वाजिब सुविधाएं दी जाएं। मजदूरों ने 13 सितंबर 2024 को कलेक्टर अजित वसंत के समक्ष लिखित में आवेदन देकर इन मांगों को उठाया था।

19 सितंबर 2024 को मांगें पूरी न होने पर मजदूरों ने रुंगटा कंपनी का काम बंद कर गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव किया था। इसके बाद त्रिपक्षीय वार्ता हुई, जिसमें तहसीलदार दीपका अमित केरकेटा, दीपका थाना प्रभारी युवराज तिवारी, SECL से GM अजय बेहरा, रुंगटा कंपनी से GM वी.पी. सिंह और मजदूर संगठन के दिलीप मिरी (प्रदेश अध्यक्ष, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना) सहित अन्य लोग शामिल थे। वार्ता में रुंगटा कंपनी ने 5 दिनों के भीतर सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया, लेकिन समय सीमा समाप्त होने के बावजूद कोई भी मांग पूरी नहीं की गई।

मजदूरों का आरोप है कि रुंगटा कंपनी द्वारा कुछ मजदूरों को उत्तम एजेंसी के माध्यम से नगद में भुगतान किया गया, जिसमें कोल इंडिया के नियमों का पालन नहीं किया गया। बिना HPC दर के भुगतान किया गया, जो नियमों का उल्लंघन है। इसके अलावा, V.P. सिंह ने बिना SECL से अनुमति लिए बालाजी और SSE कंपनी को पेटी ठेका दिया, जिनके द्वारा मजदूरों को निर्धारित वेतनमान नहीं दिया जाता।

SECL के अधिकारियों ने भी इस मुद्दे पर आपत्ति जताई थी, लेकिन मजदूरों का मानना है कि यह सब गेवरा SECL के अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है।

ठेका कंपनियों की इस मनमानी और शोषण के खिलाफ मजदूर अब खदान बंद करने के लिए तैयार हैं। 1 अक्टूबर को गेवरा खदान को बंद करने का ऐलान किया गया है। मजदूर संगठनों का कहना है कि यदि उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे और ठेका कंपनियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे।

मजदूरों का यह आंदोलन उनके अधिकारों की रक्षा और ठेका कंपनियों की मनमानी को समाप्त करने के लिए एक अहम कदम है। अब यह देखना होगा कि एसईसीएल प्रबंधन और ठेका कंपनियां मजदूरों की मांगों को पूरा करने के लिए क्या कदम उठाती हैं, ताकि इस संकट का समाधान हो सके।

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