कोरबा: मरीजों की जान बचाने वाली दवाइयों की कमी को अवसर में बदलने का मामला सामने आया है। अपोलो फार्मेसी में एक व्यक्ति को आवश्यक दवाई खरीदने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
घटना के अनुसार, एक व्यक्ति अपने भाई के लिए दवाई लेने आया, जो एक सप्ताह पहले एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुआ था और जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा अस्पताल में उपचाराधीन है। जब वह अपोलो फार्मेसी पहुंचा, तो वहां काउंटर पर मौजूद कर्मचारियों ने उसे बताया कि दवाई केवल पूरी स्ट्रिप में ही बेची जाएगी, उसे काटकर नहीं दिया जा सकता।
भाई ने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि उसे फिलहाल इतनी दवा की आवश्यकता नहीं है, लेकिन कर्मचारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें निर्देश दिया गया है कि दवाई को काटकर नहीं बेचा जा सकता। जब उसने इन निर्देशों के बारे में लिखित में देने की बात कही, तो कर्मचारी आनाकानी करने लगे और बहस बढ़ गई।
इस प्रकार के बेतुके फरमानों के चलते आम इंसान को दवाइयों की खरीद में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के नियम मरीजों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, और यह आवश्यक है कि फार्मेसियों में ग्राहकों की जरूरतों को समझा जाए। स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि मरीजों को समय पर आवश्यक दवाइयाँ मिल सकें।