MI-17 हेलीकॉप्टर से कैलाश दर्शन अगले हफ्ते से:खर्च 75 हजार रुपए; 55 साल तक की उम्र वालों को ही यात्रा कराई जाएगी

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भारत से ही कैलाश पर्वत के दर्शन का इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं के लिए बड़ी खबर है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के ओल्ड लिपुलेख की पहाड़ियों से MI-17 हेलिकॉप्टर से अगले हफ्ते से कैलाश पर्वत के दर्शन शुरू हो जाएंगे। इसकी घोषणा 2-3 दिन में हो सकती है। इस यात्रा का खर्च 75 हजार रुपए होगा।

कैलाश पर्वत चीन आधिपत्य वाले तिब्बत में है और व्यू पॉइंट से चीन बॉर्डर 10 किमी दूर है। व्यू पॉइंट की ऊंचाई 14 हजार फीट से अधिक है। इसलिए 55 साल की उम्र तक वालों को ही यात्रा कराई जाएगी।

 पहले की तुलना में इस बार यात्रा का खर्च आधे से भी कम है। 2019 तक भारतीय नागरिक तीन रास्तों से कैलाश पर्वत पहुंच सकते थे। पहला- नेपाल, दूसरा- ओल्ड लिपुलेख और तीसरा- सिक्किम। इन रूट्स से यात्रा 11 से 22 दिन में पूरी होती थी और 1.6 लाख से 2.5 लाख रु. तक खर्च हो जाते थे।

कोरोना आते ही चीन ने तीनों रास्ते बंद कर दिए। इसलिए भारत सरकार ने ओल्ड लिपुलेख की पहाड़ियों से कैलाश दर्शन कराने का रास्ता निकाला। इस रास्ते को बीआरओ ने बड़ी मुश्किल से कई पहाड़ों को काटकर बनाया है।

  • हर यात्री को धारचूला (पिथौरागढ़ से 11 किमी) में स्वास्थ्य जांच करानी होगी। यहीं परमिट मिलेगा।
  • पहले दिन हेलीकॉप्टर से पिथौरागढ़ से गुंजी गांव पहुंचेंगे। यहां रात बिताएंगे।
  • अगले दिन कार से आदि कैलाश के दर्शन के लिए जॉलिंगकॉन्ग जाएंगे। शाम को गुंजी लौटकर रात बिताएंगे।
  • तीसरे दिन कैलाश व्यू पॉइंट जाकर लौटेंगे। गुंजी में तीसरी रात बिताएंगे।
  • चौथे दिन हेलीकॉप्टर से पिथौरागढ़ लौटेंगे।
  • कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के डीटीओ ललित तिवारी के मुताबिक सुबह 6 बजे से हेलिकॉप्टर की उड़ानें होंगी और दोपहर 2 बजे तक सभी श्रद्धालुओं को गुंजी गांव वापस ले लाएंगे।

    इस टूर का पैकेज 4 दिनी रहेगा। इसके लिए हमने 75 हजार रु. प्रति व्यक्ति खर्च प्रस्तावित किया है। इसमें हेलीकॉप्टर-जीप का किराया, रुकना, खाना, गर्म पानी, रजाई-गद्दे आदि शामिल हैं। गुंजी गांव के सभी होम स्टे बुक कर लिए हैं। राज्य या केंद्र सरकारी यात्रा किराए में सब्सिडी दे सकती है, लेकिन हमने यही खर्च तय किया है।पिथौरागढ़ के जिला पर्यटन अधिकारी कीर्तिराज आर्य के मुताबिक पहले कैलाश पर्वत यात्रा सड़क मार्ग से 15 सितंबर से शुरू होनी थी, लेकिन बीते दो हफ्ते में हुई बारिश ने बूंदी गांव के आगे कई सड़कें बुरी तरह खराब कर दी हैं। इसलिए हेलीकॉप्टर से यात्रा शुरू हो रही है। अगले चार-पांच दिन में कैलाश दर्शन की तारीख का ऐलान हो जाएगा।

    2020 के बाद यह लगातार पांचवां साल है, जब चीन भारतीयों को कैलाश मानसरोवर जाने से रोक रहा है। अभी भारत से कैलाश मानसरोवर जाने के दो रास्ते हैं। फिलहाल इन दोनों रास्तों पर रोक है।

    15 जुलाई 2024 को मोदी सरकार 3.0 ने एक  के जवाब में कहा है कि पवित्र धार्मिक स्थल पर जाने से रोककर चीन दो अहम समझौते को तोड़ रहा है। इसके अलावा चीन इसी इलाके में एक मिसाइल साइट भी बना रहा है।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अक्टूबर में दिन का उत्तराखंड दौरा किया था। यहां उन्होंने सबसे पहले पिथौरागढ़ में कैलाश व्यू पॉइंट से आदि कैलाश के दर्शन किए। फिर भारत-चीन सीमा से सटे गुंजी गांव गए। बाद में अल्मोड़ा में जागेश्वर धाम पर माथा टेका।

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