*कोरबा नगर निगम की फिर हुई फजीहत, हाईकोर्ट ने अधिकारियों को लगाई फटकार*

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कोरबा। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बुधवार को एक बार फिर कोरबा नगर निगम की प्रतिष्ठा को बड़ा झटका लगा। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने नगर निगम का पक्ष रख रहे शासकीय अधिवक्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जनता के पैसे की बर्बादी की भरपाई अधिकारियों की जेब से करवाई जाएगी। यह फटकार कोरबा नगर निगम की अधर में लटकी मल्टी लेवल पार्किंग परियोजना को लेकर हुई, जिसमें पिछले कई महीनों से निगम को न्यायालय में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है।

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मामले की पृष्ठभूमि

कोरबा के हृदयस्थल में स्थित मल्टी लेवल पार्किंग परियोजना, जो कई सालों से अधर में लटकी हुई है, नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बन गई है। इस परियोजना को पूरा करने की जिम्मेदारी मे. विकास कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपी गई थी, लेकिन कंपनी द्वारा कार्य अधूरा छोड़ दिया गया। दिसंबर 2019 से इस परियोजना का काम बंद पड़ा हुआ है। इसके बाद, निगम आयुक्त ने ठेकेदार की सिक्योरिटी डिपॉजिट (एसडी) और परफॉर्मेंस गारंटी (पीजी) की राशि जब्त करते हुए ठेका निरस्त कर दिया और कंपनी को एक साल के लिए ब्लैकलिस्ट भी कर दिया था।

इसके खिलाफ ठेकेदार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आरोप लगाया कि निगम ने बिना पक्ष सुने ब्लैकलिस्ट किया है। ठेकेदार का यह भी कहना था कि जिला प्रशासन की योजनाओं में बदलाव के कारण परियोजना में देरी हुई है। पहले पार्किंग बनाने के निर्देश दिए गए, फिर प्रशासन ने अस्पताल बनाने का फैसला कर लिया। इसके बाद, दोबारा पार्किंग बनाने के निर्देश मिलने से निर्माण प्रक्रिया में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। ठेकेदार ने यह भी आरोप लगाया कि उसे 2017 के पुराने रेट पर काम करने को कहा गया, जो वर्तमान में संभव नहीं है।

हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कोरबा नगर निगम के प्रशासन पर कड़ी टिप्पणी की। न्यायाधीश सिन्हा ने कहा, “आपने जनता के पैसे का मजाक बना रखा है। पहले पार्किंग बनाने को कहते हैं, फिर अस्पताल। पार्किंग में अस्पताल बन सकता है क्या? वो भी तब, जब 70% काम हो चुका है और उसका भुगतान भी हो चुका है। जनता का पैसा बर्बाद नहीं करने दिया जाएगा। आपकी जेब से इन पैसों की भरपाई करवाई जाएगी।”

निगम की फजीहत और प्रशासन की लापरवाही

इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा दी गई कड़ी फटकार ने कोरबा नगर निगम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन द्वारा पहले पार्किंग फिर अस्पताल निर्माण की योजना बनाने से ठेकेदार और प्रशासन दोनों के दामन दागदार नजर आ रहे हैं। यह परियोजना दिसंबर 2019 से बंद पड़ी है और करोड़ों रुपये का भुगतान होने के बावजूद ठेकेदार ने काम अधूरा छोड़ दिया था।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए दिसंबर 2020 में एक विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें ठेकेदार और निगम के कुछ अधिकारियों के बीच मिलीभगत का पर्दाफाश हुआ था। खबरों के अनुसार, ठेकेदार ने करोड़ों रुपये का भुगतान लेने के बाद काम बंद कर दिया और निगम के कुछ अधिकारी भी इस भ्रष्टाचार में शामिल थे। खबरों के अनुसार, ठेकेदार ने अधिकारियों को रिश्वत स्वरूप रबड़ी-मलाई की दावत दी थी। इस साजिश का खुलासा होने के बाद ही निगम प्रशासन ने मामले में संज्ञान लिया और भ्रष्टाचार के इस मास्टर प्लान पर रोक लगाई।

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को दो सप्ताह का समय देते हुए निर्देश दिया है कि वे शपथ पत्र दायर कर अपना पक्ष रखें। इस मामले में आगे की सुनवाई महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इससे निगम प्रशासन की कार्यशैली और परियोजना के भविष्य पर बड़ा असर पड़ेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या निगम अधिकारी और ठेकेदार इस मामले में अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं या फिर उच्च न्यायालय में और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा।

कोरबा नगर निगम की अधर में लटकी मल्टी लेवल पार्किंग परियोजना ने न केवल निगम की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि भ्रष्टाचार और लापरवाही के नए अध्याय भी खोले हैं। हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद उम्मीद की जा रही है कि इस मामले में जल्द ही कोई ठोस समाधान निकलेगा और जनता का पैसा बर्बाद होने से बचेगा।

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