बिलासपुर टीकाकरण मौत केस…जांच टीम पर भड़के परिजन:कहा- बच्चे तो नहीं रहे, अब क्या लेने आए हो, चले जाओ; खाली हाथ लौटे अधिकारी

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बिलासपुर जिले में टीकाकरण से 2 बच्चों की मौत के मामले की जांच करने आई 5 सदस्यीय टीम को परिजनों ने लौटा दिया। परिवार वाले बोले अब यहां क्या करने आए हो, जो होना था वो तो हो चुका है। बच्चे तो अब रहे नहीं। मामला कोटा के पटैता के कोरीपारा का है।

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भड़के ग्रामीण और अभिभावकों ने कहा कि यहां जांच करने की कोई भी जरूरत नहीं है। जांच के नाम पर हमें फिर से ठगने की कोशिश की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने दोनों बच्चों की जान ली है।

2 बच्चों की मौत के मामले में परिजनों ने जांच अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाई।

29 अगस्त को टीकाकरण से 2 बच्चों की मौत हो गई थी। इस घटना को स्थानीय अधिकारियों ने नजरअंदाज कर दिया था, जिसके बाद सरकार ने सच जानने के लिए जांच टीम बनाई है। टीम अब सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। इसमें जो भी दोषी होगा उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

2 बच्चों की मौत के मामले में परिजनों ने जांच अधिकारियों खाली हाथ लौटाया।

परिजनों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने दोनों बच्चे की जान ली है। अधिकारियों ने समझाने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीण नहीं माने। इसके बाद जांच टीम आंगनबाड़ी केंद्र पहुंची। बच्चों को टीका लगाने वाली टीम से पूछताछ की। सील किए गए वैक्सीन के बारे में जानकारी ली। साथ ही दोनों बच्चों की जहां डिलीवरी हुई थी, वहां पहुंचकर डिलीवरी से संबंधित कागजात लेकर लौट गई।

जांच टीम में संयुक्त संचालक बिलासपुर संभाग, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. जेपी आर्या, राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. वीआर भगत, राज्य कार्यक्रम अधिकारी स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. शैलेंद्र अग्रवाल, शिशु रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल रायपुर डॉ. नियल मजोरकर के साथ ही WHO से डॉ. प्रवीण को टीम में रखा गया है।

जांच टीम में संयुक्त संचालक बिलासपुर संभाग समेत के साथ ही WHO से डॉ. प्रवीण को टीम में रखा गया है।

वहीं मामले की जांच करने के लिए कांग्रेस की 5 सदस्यों की टीम भी पटैता के कोरीपारा पहुंची। गांव में पीड़ित परिवार से मामले की जानकारी ली। कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव, मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया, बिलासपुर के पूर्व विधायक शैलेष पांडेय, कांग्रेस जिलाध्यक्ष विजय केशरवानी, कोटा ब्लाक अध्यक्ष आदित्य दीक्षित और बीना मसीह कोटा अस्पताल पहुंचे।

कांग्रेस जांच कमेटी ने कोटा BMO डॉ. निखलेश गुप्ता के साथ ही पटैता में टीका लगाने वाली कार्यकर्ता से भी बात की। इसके बाद सवाल उठाया गया कि टीकाकरण से 2 बच्चों की मौत के बाद दवा की जांच क्यों नहीं की गई।

क्या दवा अमानक थी, तो बच्चों का पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं करवाया गया। सरकार का दायित्व है कि पोस्टमॉर्टम कराए। सरकार इस मामले को दबाने में लग गई है।

कांग्रेस जांच कमेटी ने कोटा BMO डॉ. निखलेश गुप्ता के साथ ही पटैता में टीका लगाने वाली कार्यकर्ता से भी बात की।

कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव ने बताया कि कोटा बीएमओ काफी लापरवाह दिखे, जिस दिन बच्चों की मौत हुई, उसी दिन उनका पोस्टमॉर्टम होना था, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। परिजनों ने अंतिम संस्कार कर दिया। हमारी पूरी नजर कोटा के स्वास्थ्य विभाग की मॉनिटरिंग करने पर है।

पूर्व विधायक शैलेष पांडेय ने कहा कि भाजपा सरकार स्वास्थ्य सेवाएं ठीक नहीं कर पा रही है। प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार बनी है, तब से लगातार बड़ी घटनाएं हो रही हैं। डायरिया, मलेरिया, डेंगू, स्वाइन फ्लू जैसी गंभीर बीमारियों से लोगों की मौत हो रही है। उच्च स्तरीय जांच की मांग भी की।

मौत मामले की जांच करने के लिए कांग्रेस की 5 सदस्यों की टीम भी पटैता के कोरीपारा पहुंची।

शुक्रवार को पटैता के आंगनबाड़ी केंद्र में कुल आठ बच्चों को टीका लगाया गया था। इसमे से दो बच्चों की मौत हो गई और अन्य छह बच्चों की तबीयत बिगड़ गई।

ऐसे में आननफानन में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराकर निगरानी में रखा। वहीं अब बच्चों की हालत ठीक होने लगी है। धीरे-धीरे सभी बच्चे स्वस्थ्य हो रहे हैं।

रायपुर से आई जांच टीम के रवाना होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक देर रात को हुई। मामले में आगे क्या करना है, इस पर निर्णय लेने की कोशिश की गई। ले

किन बैठक में यह निर्णय नहीं लिया जा सका कि सील वैक्सीन को जांच के लिए भेजना है या नहीं। कुल मिलाकर खानापूर्ति रवैया अपनाते हुए इसे दबाने की कोशिश की जा रही है।

हर मंगलवार और शुक्रवार को बच्चों का नियमित टीकाकरण किया जाता है, लेकिन टीकाकरण को स्थगित करने का निर्णय लिया गया है। टीका के बैच नंबर, उसके एक्सपायरी के साथ ही अन्य जांच करना बाकी है।

इसी के बाद आने वाले दिनों में फिर से टीकाकरण शुरू किया जाएगा। हालांकि नियमित टीकाकरण कब शुरू होगा, इसको लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में टीकाकरण से दो बच्चों की मौत हो गई। शनिवार को 7 बच्चों को बीसीजी और पेंटावैलेंट के टीके लगाए गए थे जिसके बाद 2 बच्चों की मौत हो गई। वहीं बाकी 5 बच्चों की भी तबीयत बिगड़ गई है। अब उस बैच की वैक्सीन को प्रतिबंधित किया गया है।

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत में एवियन इन्फ्लूएंजा (H9N2) का दूसरा केस कन्फर्म किया है। एवियन इन्फ्लूएंजा को बर्ड फ्लू के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिम बंगाल में एक 4 साल का बच्चा बर्ड फ्लू के इस स्ट्रेन (H9N2) से पीड़ित था, जिसे अभी अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। इससे पहले साल 2019 में भी WHO ने भारत में बर्ड फ्लू H9N2 स्ट्रेन का पहला केस कन्फर्म किया था।

 

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