महापौर के जाति प्रमाण पत्र निरस्त होने के बाद , पूर्व राजस्व मंत्री के राजनीति में कितना पड़ेगा असर…

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कोरबा :- नगर पालिका निगम कोरबा के महापौर राज किशोर प्रसाद के जारी स्थाई जाति प्रमाण पत्र को जिला स्तरीय छानबीन समिति ने जांच उपरांत निरस्त कर दिया है और अग्रिम कार्यवाही के लिए कलेक्टर कोरबा पत्र प्रेषित किया गया है !महापौर के जाति प्रमाण पत्र निरस्त होते ही शहर और प्रदेश में राजनीति का बाजार गर्म हो गया है तरह तरह के कयास और आरोप महापौर पर लग रहें हैं!

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राज किशोर प्रसाद के महापौर बनते ही भाजपा के महापौर के प्रत्याशी रहे पार्षद रीतू चौरसिया ने महापौर के जाति प्रमाण पत्र को चुनौती देते हुए जिला न्यायालय कोरबा में वाद दायर किया गया जिसमें न्यायालय द्वारा महापौर की जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया गया तब राज किशोर प्रसाद ने निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय बिलासपुर में अपील की गई वहाँ से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी और उच्च न्यायालय ने उनकी अपील खारिज कर दी! महापौर के जारी जाति प्रमाण पत्र को जिला स्तरीय छानबीन समिति के पास जांच करने के लिए भेजी गई थी लेकिन महापौर ने अपने नाम से जारी जाति प्रमाण पत्र के संबंध में पुख्ता दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए और उनके जाति प्रमाण पत्र को जिला स्तरीय छानबीन समिति ने निरस्त कर दिया और आगे की कार्यवाही करने के लिए कलेक्टर कोरबा को भेज दिया गया है!

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पूर्व राजस्व मंत्री के राजनीति में कीतना होगा इसका असर…..

कोरबा नगर निगम के महापौर बनने के लिए कांग्रेस के कई नेताओं ने सपना देखा था और सपने को सकार करने पार्षद का चुनाव लड़ा और चुनाव में पानी की तरह धन लुटाये और जीते भी इसमें पूर्व राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल के करीबी सुरेन्द्र प्रताप जायसवाल, संतोष राठौर, श्याम सुंदर सोनी, राज किशोर प्रसाद,मुकेश राठौर और चरण दास महंत के करीबी धरम निर्मले प्रमुख थे और सभी शहरवासी एवं राजनीतिक विशेषज्ञ मानते रहे की सुरेन्द्र प्रताप जायसवाल या धरम निर्मले में ही किसी एक को कांग्रेस पार्टी से महापौर प्रत्याशी बनाया जायेगा लेकिन अप्रत्याशित और चौकाते हुए जय सिंह अग्रवाल ने नगर निगम की सत्ता अपने हाथ में रखने के लिए लायक़ लोगों को दरकिनार करते हुए राज किशोर प्रसाद को अपने दम पर महापौर बनाया गया जिसका कांग्रेसी पार्षदों के अंदर भारी विरोध रहा है अब जब महापौर राज किशोर प्रसाद का जाति प्रमाण पत्र निरस्त हो गया है तो महापौर से ज्यादा जय सिंह अग्रवाल को दबी जुबान में स्थानीय नेता से लेकर प्रदेश के नेता कोसने लगे हैं राजनीति जानकारों की माने तो महापौर के कार्यकाल और उसके जाति से जुड़े विवाद के कारण कांग्रेस पार्टी की छबि जिला और प्रदेश में धूमिल हुई है!

आने वाले दिनों में नगर निगम का चुनाव होना इस बार प्रदेश में भाजपा की सरकार है और महापौर /अध्यक्ष का चुनाव निष्पक्ष रूप से जनता अपने मताधिकार का उपयोग करते हुए मतदान करके करेगी! महापौर, अध्यक्ष और पार्षद प्रत्याशी चयन में इस बार जय सिंह अग्रवाल की पार्टी में कितनी चलेगी यह तो आने वाला समय ही बतायेगा!

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