चोटिया कोयला खदान के नियमित मजदूरों और ठेका मजदूरों का भविष्य अंधेरे में,क्या केन्द्र सरकार के नये खनिज खनन नियम के कारण पिस रहे हैं मजदूर?

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चोटिया कोयला खदान के नियमित मजदूरों और ठेका मजदूरों का भविष्य अंधेरे में,क्या केन्द्र सरकार के नये खनिज खनन नियम के कारण पिस रहे हैं मजदूर?

रायपुर :- केन्द्र सरकार द्वारा कोयला खदानों को निजी हाथों में देने का फैसला किसानों और मजदूरों के लिए सही था बड़ा सवाल है?देखा जाए तो देश में जितने भी निजी संस्थानों को कोल ब्लॉक आबंटित किये गए हैं वहां के किसान, मजदूरों और क्षेत्रवासियों का शोषण ही होता आ रहा है इन लोगों के द्वारा अपने हक अधिकार के लिए जब आवाज बुलंद करने का प्रयास करते हैं तब शासन उनकी आवाज को प्रशासन और कानून के दम पर दबा दिया जाता है!

केन्द्र सरकार की क्या है कोयला खदान आबंटन की नियम…

केन्द्र सरकार द्वारा देश के कोयला खदानों को निजी संस्थानों के लिए देने के लिए खनिज खनन अधिनियम में बदलाव कर देश के अधिकांश कोयला खदानों को उद्योगपतियों के हाथों में दे दिया गया और उन पर सरकार और प्रशासन का नियंत्रण दिखाई नहीं पड़ रहा था तब एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया गया Manohar Lal Sharma v. Principal Secretary (2014) [“Coal Block Allocation cases”], के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 24 September 2014 को Government Dispension Route के माध्यम से वर्ष 1993 से 2011 तक आबंटित हुए 214 कोयला खदानों के आबंटन को अवैध करार दे दिया था, जिसमें प्रकाश इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड को आबंटित चोटिया कोयला खदान भी थीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन सरकार ने कोयला खदान आबंटन की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने और प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से सफल बोलीदाता के पक्ष मे कोयला खदान के आबंटन हेतू Coal Mines Special Provisions Act 2015 को लागू किया, जिसके माध्यम से पुनः कोयला खदानो का Competitive Bidding Process के माध्यम से आबंटन किया गया, जिसमें चोटिया कोयला खदान की नीलामी प्रक्रिया में भारत एल्यूमीनियम कंपनी लिमिटेड द्वारा 3025 रुपए/टन की दर से बोली लगाई गई थी, गोदावरी पॉवर एंड इस्पात लिमिटेड द्वारा 3021 रुपए/टन की दर से बोली लगाई गई थी, जबकि हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड, रूंगटा माइंस लिमिटेड और प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा कोई बोली ही नहीं लगाई गई, जिसके पश्चात् चोटिया कोयला खदान के सफल बोलीदाता के तौर बालको को चयन किया गया, 28 फरवरी 2015 को भारत एल्यूमीनियम कंपनी लिमिटेड के सीईओ रमेश नायर और कोयला मंत्रालय भारत सरकार के नामित प्रतिनिधि विवेक भारद्वाज के मध्य CMPDA समझौते पर हस्ताक्षर किए गए तथा 10.832 MT कोयला भंडार के कोयला खदान के खनन हेतू 17 जुलाई 2015 को बालको द्वारा कोयला मंत्रालय भारत सरकार के समक्ष Mining Plan प्रस्तुत किया गया, लगभग 30 वर्षो के लिए राज्य सरकार द्वारा Mining Lease Agreement बालको को प्रदान किया गया, 4 जून 2015 एवम 17 जून 2015 को MoEF&CC द्वारा चोटिया १ एवम २ खदानों के पर्यावरणीय स्वीकृति को प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड से बालको के पक्ष मे हस्तांतरण को अपनी स्वीकृति दी, बालको द्वारा चोटिया कोयला खदान 1 से खनन कार्य दिसंबर 2015 को प्रारंभ किया गया, दिसंबर 2015 से अगस्त 2016 तक केवल 300000 टन कोयला खनन ही बालको द्वारा किया गया, जिसके पश्चात् बालको द्वारा चोटिया कोयला खदान 1 से खनन कार्य पूर्णतः बंद कर दिया गया।

जनवरी 2018 के पहले सप्ताह में चोटिया कोयला खदान 2 के लिए जनसुनवाई हुई तथा पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा दिनांक 18 जुलाई 2018 को बालको चोटिया कोयला खदान 2 के पक्ष में पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान की गई, जिसके पश्चात् बालको द्वारा अक्टूबर 2018 से अप्रैल 2020 तक लगभग 16 लाख 69 हजार टन ही कोयला खनन किया गया और फिर मनमाने तरीके से खदान का परिचालन बंद कर दिया, 20 जून 2021 को कोयला मंत्रालय भारत सरकार को बालको द्वारा Mines Surrender करने हेतू नोटिस दिया गया ।

इसके बाद पुनः बालको द्वारा चोटिया कोयला खदान 2 का परिचालन सितंबर 2022 को प्रारंभ किया गया जिसका परिचालन 31 जुलाई 2024 तक पूर्णतः बंद कर दिया जावेगा।

बालकों द्वारा बार बार चोटिया कोयला खदान का परिचालन बंद एवम शुरू किया गया है, क्या बालको द्वारा खदान बंद करने से पूर्व उपयुक्त सरकार को औद्यौगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 25(O) के तहत Closure Notice दिया गया है, आख़िर बालको द्वारा अप्रैल 2020 में खदान का परिचालन बंद करके जून 2021 में Mines Surrender करने का नोटिस भारत सरकार को क्यों दिया, क्या औद्यौगिक विवाद अधिनियम 1947 के प्रावधानों तथा CMPDA Agreement के प्रावधानों का पूर्णत बालको द्वारा परिपालन किया गया था ?

खनिज साधन विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बालको को 500 करोड़ रूपए रॉयल्टी भुगतान हेतू नोटिस क्यों जारी किया गया था???
क्या बालको ने चोटिया कोयला खदान 2 के परिचालन को वर्ष 2020 में बंद करने के बाद 500 करोड़ रूपए बकाया रॉयल्टी की राशि का भुगतान किया?

क्या बालको द्वारा चोटिया कोयला खदान को सितंबर 2022 में पुनः प्रारंभ करते हुए औद्यौगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 25H के तहत छंटनी करके निकाले गए श्रमिको को पुनः नियोजित किया गया, क्या बालको द्वारा Third Party Contractor धनसार इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को खनन कार्य करने हेतू कार्यादेश जारी करने से पूर्व CLRA Act 1970 की धारा 10 के तहत उपयुक्त सरकार से अनुमति ली गई थी, क्या बालको द्वारा समान उद्योगों में समान कार्य करने वाले श्रमिको के समान ही HPC दर पर न्यूनतम वेतनमान का भुगतान किया गया है?

क्या वर्तमान में खनन कार्य बंद करने हेतू उपयुक्त सरकार से औद्यौगिक विवाद अधिनियम 1947 के प्रावधानों के तहत बालको को स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है, क्या बालकों द्वारा वर्ष दिसंबर 2015 – जुलाई 2024 तक अपने Mining Plan के अनुसार ही खनन कार्य किया गया है?क्या वहाँ नियमित कार्यरत मजदूरों और ठेका मजदूरों की भविष्य सुरक्षित है?

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