The festival of Moharram was celebrated with faith and harmony in the memory of Karbala
कोरबा : इस्लामी नव वर्ष के पहले महीने मोहर्रम की 10 तारीख को मुस्लिम समाज के लोगों ने पैगंबर इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करके मोहर्रम का पर्व कर्बला की याद में आस्था और सौहाद्र के साथ मनाया गया.
मोहर्रम का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है इस अवसर पर कोरबा शहर समेत उपनगरीय क्षेत्रों में मुस्लिम समाज के लोगों ने लंगर एवं सरबत व शीतल पेय का सबील (स्टाल)लगाया और कोरबा समेत उपनागरीय क्षेत्रों से ताजिए निकाले गए कोरबा जिले में पिछले 50 वर्षों से ताजिये निकालने की परंपरा चली आ रही है.
इस कड़ी में कल मुहर्रम के अवसर पर तुलसी नगर, पुरानी बस्ती, काशी नगर, बुधवारी, धनुहार पारा मुढापार से आस्थानुशार तजिए निकले गए और शाम होते ही सभी ताजिये कोरबा स्थित पुराना बस स्टैंड में एकत्रित हुए जहा बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज समेत अन्य धर्म के लोगों ने आस्थापूर्वक ताजिया के दर्शन किये. और परंपरागत मन्नतें मांगी गयी इसजे साथ ही आशिके हुसैनो ने ताजिया के निचे से पार होकर मन्नाटे मांगी.
इस अवसर पर पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था की गयी थी गीतांजलि भवन के सामने पुराना बस स्टेण्ड में ताजिये देखने और मन्नतें मांगे वालों की भारी भीड़ जमा थी.