बस्तर का ऐतिहासिक गोंचा महापर्व लगातार 617 वर्षों से अनवरत जारी…
यूं तो पूरे भारत वर्ष में गोंचा पर्व मनाया जाता है परंतु बस्तर का गोंचा विशेष होता है.यहां जगन्नाथपुरी के तर्ज पर रथ परिचालन कराया जाता है, जिसकी अगवाई 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज द्वारा किया जाता रहा है.मालूम हो कि पूरे भारतवर्ष मे एक साथ 22 विग्रहों की पूजा और तीन रथों का परिचालन . स्थापना केवल बस्तर में ही होती है . जिससे यहां का गोंचा पर्व अनूठा है.
साथ ही यहां की आदिम जातियां मलकांगनी के फल को बांस से बने नालीनुमा औजार में डालकर एक ध्वनि किया जाता है , जिसे तुपकी कहा जाता है, उस ध्वनि से भगवान को सलामी दी जाती है.
इस वर्ष भी गोंचा पर्व प्रतिवर्ष की भांति धूमधाम से मनाए जाएंगे इस हेतु आरण्यक समाज बस्तर संभाग द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया.जिसमे कल 6 जुलाई से प्रारंभ हो रहे गोंचा पर्व की रूपरेखा समाज के अध्यक्ष विवेक पांडे द्वारा बताया गया.
आपको बता दें रियासत कालीन परंपरा का निर्वहन करते हुए 360 घर आरण्यक समाज द्वारा 617 वर्षों से अनवरत गोंचा पर्व का आयोजन किया जाता रहा है पर्व का आरंभ 22 जून से,, 17 जुलाई बाहुड़ा गोंचा से ,,पर्व की समाप्त होगी.
समाज द्वारा प्रतिदिन के कार्यक्रम की रूपरेखा की विस्तृत जानकारी समाज के अध्यक्ष ने दी है आईए जानते हैं क्या-क्या कार्यक्रम प्रस्तावित है.