विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष न्यायाधीश ने किया वृक्षारोपण

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विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष न्यायाधीश ने किया वृक्षारोपण

कोरबा- छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के प्लान ऑफ एक्शन के अनुसार श्री सत्येन्द्र कुमार साहू, प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन एवं निर्देशानुसार 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जिला न्यायालय परिसर कोरबा परिसर में पौध रोपण एवं पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक किये जाने के प्रयोजनार्थ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा एवं कोरबा वनमण्डल के संयुक्त तत्वावधान में पौध रोपण एवं विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

उक्त अवसर पर ओंकार प्रसाद गुप्ता, प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय कोरबा की गरिमामयी उपस्थिति में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उक्त अवसर पर श्री जयदीप गर्ग, विशेष न्यायाधीश, (एस्ट्रोसिटीज) एक्ट कोरबा के द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि अपने आप से पूछिये कि हम विकास की अंधी दौड़ में शामिल हो चुके हैं, हमारे घर पहले 14 इंची मिट्टी के दीवाल होते है, जिसमें हम चूने की पोताई करते थे, और एक दूसरे का घर आपस में जुड़ा रहता था। केवल एक ही मकान में धूप आती थी और बाकी मकानों में धूप कम आती थी।

जिससे गर्मी कम लगती थी। वर्तमान में आज सभी का सिंगल मकान होता है, जिसमें चारों तरफ से खुला रहता है और उसकी छते भी सीमेंट के होने के कारण गर्मी अधिक लगती है। वर्तमान में हम आवश्यकता से अधिक जमीन खरीद कर पेड़ पौधों का विनाश कर रहे हैं, वर्तमान में हम जमीन खरीद कर बड़े-बड़े मकान बना रहे है, फिर गर्मी लगने पर कुलर लगाते है, कूलर कार्य नहीं करता है, तो एसी लगाते है, एसी में विद्युत प्रवाह अधिक होने से विद्युत की आवश्यकता के लिये भारत में कोयले का उत्पादन से बिजली का निर्माण किया जाता है जिससे पर्यावरण बहुत ज्यादा प्रदूषित हो रहा है। हम विकास तो कर रहे है किन्तु इससे पर्यावरण का विनाश भी हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण होने से हम स्वच्छ वायु, स्वच्छ पानी से वंचित होना पड़ रहा है। स्वच्छ वायु, स्वच्छ पानी का उपयोग करने के लिये संविधान ने हमें संवैधानिक अधिकार दिया है। मेरे ख्याल यह स्वच्छ वायु एवं स्वच्छ पानी का उपयोग करना प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार होना चाहिये। प्रकृति ने जो जीवनचक्र स्थापित किया है उसी के अनुसार हमें चलना चाहिये। चीन के द्वारा यह माना गया कि गौरैया चिड़िया के द्वारा उनके अन्न का खाने के कारण अन्न का उत्पादन कम हो रहा है, जिसके कारण वहॉं गौरैया चिड़िया को मारने की मुहिम चलाया गया ।

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