क्या हैं रेमल चक्रवात और किसने रखा ये नाम?..

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क्या हैं रेमल चक्रवात और किसने रखा ये नाम?..

उत्तरी बंगाल की खाड़ी में उठा चक्रवात रेमल प. बंगाल के सागर द्वीप और बांग्लादेश के खेपुपाड़ा के बीच रविवार रात टकराने की आशंका है। मौसम विभाग ने शनिवार को बताया कि चक्रवात तूफान 110 से 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तट से टकरा सकता है। तूफान के दौरान समुद्र में 10।5 मीटर ऊंची लहरें उठने की आशंका है। 27 मई को मौसम विभाग ने मछुवारों को बंगाल की खाड़ी के उत्तरी हिस्से में न जाने को कहा है। वहीं रेमल के प्रभाव से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मिजोरम से लेकर बिहार तक बारिश होने की संभावना है। लेकिन सवाल ये उठता है कि कैसे तूफान का नाम रखा जाता है।

तूफानों के नामकरण के बारे में बताएं तो इस तूफानों का नाम संस्था रखती है जिसका नाम वर्ल्ड मेट्रो लॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन है। संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था से कुल 185 देश जुड़े हुए हैं। उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र जिसमें अरब महासागर और बंगाल की खाड़ी दोनों शामिल हैं में एक प्रभावी चक्रवात चेतावनी और आपदा शमन की जरूरत महसूस करते हुए डब्ल्यूएमओ ने 1972 में पैनल ऑन ट्रॉ पिकल साइक्लोन्स की स्थापना की। इस पैनल में शुरुआती दिनों में बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, श्रीलंका, ओमान सल्तनत और थाईलैंड सहित कुल आठ सदस्य थे।

सन् 2000 में जब ओमान की राजधानी मस्कत में पीटीसी की 27वीं बैठक हुई, तो पैनल के सभी देशों ने बंगाल की खाड़ी और अरब महासागर में उठने वाले तूफानों के नाम रखने का फैसला किया। पैनल के सभी देशों ने तूफान का नाम रखने के लिए अपनी-अपनी तरफ से नाम सुझाए। पीटीसी ने इन्हीं नामों के आधार पर लिस्ट तैयार की और 2004 के बाद से तूफानों के नाम रखना शुरू कर दिया।

ऐसे चुना जाता है नाम

किसी तूफान का नाम राजनीति और राजनीतिक शख्सियतों से, धार्मिक मान्यताओं या संस्कृतियों से और लिंग से जुड़ा हुआ नहीं होना चाहिए।
दुनियाभर में जनसंख्या के किसी समूह की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला नहीं होना चाहिए।
नाम में कोई भी असभ्य और क्रूर शब्द नहीं होना चाहिए।
तूफान का नाम छोटा और बोलने में आसान होना चाहिए। पीटीसी के किसी भी सदस्य की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला नहीं होना चाहिए।
तूफान का नाम आठ अक्षरों से ज्यादा का नहीं होना चाहिए।
नाम के साथ उसे बोलने का सही तरीका और वॉइस ओवर भी देना अनिवार्य है।
नाम दोहराया नहीं जाना चाहिए।

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