शराबखोरी का अड्डा बना सक्ति से लगे नंदेली का खेल मैदान
सक्ति में नशा जैसे जैसे फला फूला वैसे वैसे शक्ति में खेल प्रतिभा का भी ह्रास होता चला गया जिसका मुख्य कारण सक्ति नगर के खे जीबील मैदानों पर स्थानीय प्रशासन की बुरी नजर लगा रहना ही है,भारतीय जनता पार्टी शासन काल में निर्मित पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेडियम ,नगरपालिका के गलत सोच से ग्राउंड में मेला लगा खेल ब खिलाड़ियों को वहां से अघोषित प्रतिबंध लगाकर मेला के नाम गड्ढा खोदने डंडे गड़ाकर गड्ढे करवाने फिर भराई कराने की साल दर साल प्रक्रिया में खिलाड़ी अपने खेल भाव ही भूल गए,बनाए गए खेल समितियां भी,अंतिम सांसे गिन रही है ऐसा सोचना भी गलत नही होगा नतीजतन नगर में खेल और नगर के युवा शक्ति व खिलाड़ी को प्रशासन द्वारा खेल विमुख कराए जाने से युवा शक्ति का सहज ऊर्जा नशाखोरी की ओर सहज रूप से उन्मुख है जिसकी ज्वाबदरी स्थानीय नगर प्रशासन,नगर के व्योवृद्ध व युवा खेल प्रेरकों की भी उनकी दायित्व को उनके पृथक नही किया जा सकता,परंतु राम जाने,आज भी जब से नए सक्ति जिला का आगाज हुआ है,तब से जैसे प्रशासन को खेल मैदान के साथ कुछ भी कर डालने की मानो खुला छूट मिल गया है। खेल खिलाड़ी और नगर के युवाओं के विरुद्ध स्थानीय प्रशासन कुछ भी कटाक्ष कर ले ,परंतु स्थानीय प्रशासन के नजरों से दूर अब नगर में एकमात्र वनविभाग का नंदेली खेल मैदान संघर्षरत युवा खिलाड़ियों का एकमात्र खेल मैदान भी अव्यवस्था के घेरे में है जहां नगर से कुछ युवा खेलने जाते है परंतु वहां अव्यवस्था का आलम ये है की मैदान की लाइट फूटी पड़ी है ,जिसमे शराबखोरी का अड्डा लगा रहता है जिसमे खेलने वाले बच्चे खुद साफ सफाई करते देखे जा सकते है ।
इतना ही नहीं टूटी कांच के बोतले से कई बच्चे आहत भी ही चुके है, ऐसे में यह बात भी नहीं है कि उक्त सभी बातों की जानकारी स्थानीय व जिला प्रशासन को इसकी जानकारी नही है ,चुकी स्वमेव युवाओं द्वारा ही कई बार शासन को अवगत भी कराया जा चुका है परंतु हमारे समाज की धरोहर भविष्य युवा के सही मार्ग को भटकाने का काम होगा तो समाज में कौन सा उज्जवल भविष्य का निर्माण सक्ती में चल रहा है चिंतन का विषय है जहां देश के शीर्ष न्यायालय का दिशा निर्देश के विपरीत कार्य करने वाले प्रशासन युवा विवशता पर उफ नही कर रही है,ज्ञात हो की मामले नगर के समाज चिंतकों तक ध्यान में आने पर मामले ऊपरी न्यायालयों तक जा सकती है ।