खरीदी केंद्र से हजारों क्विंटल धान गायब, क्या होगी एफआईआर दर्ज?

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खरीदी केंद्र से हजारों क्विंटल धान गायब, क्या होगी एफआईआर दर्ज?

रायपुर – जांजगीर चांपा जिले से बड़ी खबर है, खरीदी केंद्र में हजारों क्विंटल धान की अफरा तफरी का बड़ा मामला सामने आया है। खरीदी प्रभारी इस मामले को दबाने में लगा हुआ है, वही सुपरवाइजर सहित वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भी सहयोग करने की बात सामने आ रही है। पूरा मामला बलौदा शाखा अंतर्गत खरीदी केंद्र खिसोरा का है।

आपको बता दे सेवा सहकारी समिति मर्यादित खिसोरा में आज दिनांक के रिपोर्ट अनुसार फड़ में 2758.80 क्विंटल धान रखा होना था, जिसमें मोटा 368 क्विंटल तथा सरना 2390.80 क्विंटल मात्रा होनी चाहिए।लेकिन खरीदी केंद्र में लगभग 700 क्विंटल ही धान रखा हुआ है, बांकी के लगभग 2000 क्विंटल धान फड़ से गायब हो चुके हैं।

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धान गायब होने की सूचना प्राप्त होने के बाद मीडिया टीम द्वारा मौके पर पहुंच वास्तविक चीजों को देखा गया जहां पर पाया गया कि वास्तव में खरीदी केंद्र में जितनी मात्रा में धान रखा होना चाहिए था उतनी मात्रा में धान नहीं रखा गया है। इससे स्पष्ट होता है कि खरीदी केंद्र प्रभारी सहित अन्य लोगों के द्वारा खरीदी किए गए धान की अफरा तफरी कर दी गई है।

इस संदर्भ में खारदी केंद्र खिसोरा के ऑपरेटर अरुणा भारद्वाज से उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क कर जानकारी चाही गई तो उनके द्वारा कॉल रिसीव करने के बाद धान संबंधी जानकारी पूछने के बाद फोन बंद कर दी गई। वहीं खरीदी केंद्र प्रभारी विनोद आदिले से जानकारी चाहने पर कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया, वहीं चर्चे के दौरान बताया कि धान की मात्रा कम है। लेकिन हमारे द्वारा जीरो शॉर्टेज कर दिया जाएगा।

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शाखा प्रभारी मुकेश पाण्डेय से इस मामले पर जानकारी देते हुए कार्रवाई संबंधी जानकारी चाही गई तो उन्होंने कहा कि जांच कराई जाएगी और शिकायत सही पाए जाने पर नियमानुसार कार्यवाई भी की जाएगी।

इस पूरे मामले में खरीदी प्रभारी एवं सुपरवाइजर की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है क्योंकि सुपरवाइजर के बताए अनुसार पिछले तीन दिनों पूर्व ही खरीदी केंद्र खिसोरा में सुपरवाइजर सत्य प्रकाश कुर्रे एवम् अन्य अधिकारियों के द्वारा मौके पर पहुंच भौतिक सत्यापन किया गया था जिसमें फड़ में धान कम पाया गया था। लेकिन उनका कहना है कि किसी भी तरह से कमी हुई धान की पूर्ति कर दी जाएगी और जीरो शार्ट देने के लिए खरीदी प्रभारी को कहा गया है।

अब सवाल है कि आखिरकार खरीदी केंद्र में रखा हुआ धान किसने गबन कर दिया? क्या गबन करने वाले के ऊपर अपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं होना चाहिए था? और यदि अपराधिक प्रकरण दर्ज करना था तो सुपरवाइजर और अन्य अधिकारियों द्वारा अपराधिक प्रकरण दर्ज क्यों नहीं किया गया? इससे यह कहना गलत नहीं होगा की अधिकारियों के खुले संरक्षण मिलने के कारण ही इस तरह के कार्य किए जा रहे हैं।

प्राप्त जानकारी अनुसार खरीदी प्रभारी विनोद आदिले के ऊपर पूर्व में भी भ्रष्टाचार के अनेकों आरोप लग चुके हैं। केसीसी में भी जमकर भ्रष्टाचार करने का मामला सामने आया था, लेकिन वह भी दबा दिया गया। अब देखना होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है।

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